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कुछ बदला है क्या?

सचमुच,कुछ बदला है क्या?

हाँ ...

बदली हैं सरकारें, लेकर लुभावने वादे,

खाऊँगा न खाने दूंगा,

साफ़ करूंगा, साफ़ रखूंगा,

मेक इन इण्डिया

मेड इन इण्डिया

‘सायनिंग इण्डिया’ का नया संस्करण

बलात्कार इन इण्डिया(?)

कुर्सी वही, संसद वही

किरदार नए, भोंपू वही

वादे नए

बढ़ेंगे, रोजगार के अवसर

होंगे हम, आत्म निर्भर

विदेशी निवेश के भरोसे!

 

आइये, बिछाइये, ग्रीन कारपेट  

‘वे’ आनेवाले हैं, लेकर लाव लश्कर!  

 

मौलिक व अप्रकाशित 

- जवाहर लाल सिंह 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 18, 2015 at 6:57pm

निवेश के लिए आमंत्रित विदेशियों के लिए - वाह  ! सुंदर  अभिव्यक्ति  के  लिए बधाई श्री जवाहर लाल सिंह जी 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 18, 2015 at 8:08am

आदरणीय जवाहर भाई , न पहले वाले कुछ बदल पाये न ये बदलेंगे , बदलना हमे है खुद को । ये भी सोच के देखना है हम बदले क्या  ?   बहुत सुन्दर रचना के लिये आपको बधाइया ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 15, 2015 at 7:51pm

आइये, बिछाइये, ग्रीन कारपेट  

‘वे’ आनेवाले हैं, लेकर लाव लश्कर!  .....शानदार, आदरणीय जवाहर जी ,हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by umesh katara on January 15, 2015 at 7:48pm

वाह वाह

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 15, 2015 at 6:25pm
नैये हुक्मरान आ गए ,
वही पुराने वादों की टोकरियाँ लेकर,
वही पुराने इरादों की टोकरियाँ लेकर.
वैसे ही अपनी अपनी झोलियाँ लेकर ………
खाली खाली ……
बधाई आदरणीय जवाहर लाल जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 15, 2015 at 3:23pm
सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 15, 2015 at 12:45pm

जवाहर लाल जी

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति i सादर i

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