For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे तो जीतना ही था (नज़्म, बह्र-ए-हजज़)

1 2 2 2

 

हुआ पैदा कि धोके से, किसी का पाप मैं बन के

मुझे फेंका गया गन्दी कटीली झाड़ियों में फिर

कि चुभती झाड़ियाँ फिर फिर, कि होता दर्द भी फिर फिर

यहाँ काटे कभी कीड़े, वहां फिर चीटियाँ काटे

 

पड़ा देखा, उठा लाई, मुझे इक चर्च की दीदी.

 

हटा के चीटियाँ कीड़े, धुलाए घाव भी मेरे

बदन छालों भरा मेरा, परेशां मैं अज़ीयत से

खुदा से मांगता हूँ मौत अपनी सिर्फ जल्दी से

 

बड़ी नादान दीदी वो, लगाती जा रही मरहम

दुआ करती हुई वो मांगती बस जिंदगी मेरी

कि जैसे शर्त दीदी और मेरे बीच चलती सी

 

कज़ा-ओ-ज़ीस्त का जैसे कि कोई सामना ही था

कि दीदी हार बैठी फिर, मुझे तो जीतना ही था

 

 

-------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित) - मिथिलेश वामनकर 
-------------------------------------------------------

 

 (नज़्म, बह्र-ए-हजज़)  [ 1 2 2 2 ]

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 12, 2014 at 9:49pm
आदरणीय लक्ष्मन धामी जी आभार, बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 12, 2014 at 12:08pm

आदरणीय भाई मिथिलेश जी,इस भावुक रचना के लिए हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 11, 2014 at 10:20pm
आदरणीय शिज्जु जी आपने नज़्म पसंद की यही बड़ी बात है। बहुत बहुत आभार। धन्यवाद।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 11, 2014 at 9:33pm

बहुत खूब आदरणीय मिथिलेश जी बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 11, 2014 at 8:19pm

ये दो बदलाव किये है सादर 

"गन्दी कटीली झाड़ियों"

"कज़ा-ओ-ज़ीस्त का जैसे"


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 10, 2014 at 11:39pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर सर, आपने जो दो बड़ी त्रुटियाँ चिन्हित की थी उनमें सुधारने का प्रयास किया है ..... सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 10, 2014 at 10:58pm
आदरणीय सलीम भाई बहुत बहुत आभार धन्यवाद
Comment by saalim sheikh on December 10, 2014 at 10:13pm

बहुत खूबसूरत और दिल को चुने वाली नज़्म के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 10, 2014 at 9:02pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर आपको प्रयास पंसद आया यही मेरा प्रोत्साहन है। आभार धन्यवाद।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 10, 2014 at 9:00pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय राहुल दांगी जी । मैं तो सिर्फ एक बह्र में लिख कर नज़्म कहता हूँ बाकि नज़्म की बारीकियां गुणीजन ही बता सकते है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service