For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-----मैं समन्दर को आँखों में भरके चला हूँ

212 212 212 2122
-------------------------------------------
मुद्दतों से पलक बन्द करके चला हूँ
मैं समन्दर को आँखों में भरके चला हूँ
....
जा बसा पत्थरों में हुआ वो भी पत्थर
मैं फकीरों के जैसे बे-घरके चला हूँ
....
कैसे कहदूँ मेरे यार को बेव़फा मैं
जिसकी तस्वीर को दिल में धरके चला हूँ
....
ले गया वो मेरी साँस भी साथ अपने
जिन्दगी भर बिना साँस मरके चला हूँ
....
ले न जाये छुड़ाके कहीं याद अपनी
इसलिये उम्र भर ही मैं ड़रके चला हूँ
....

मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on November 27, 2014 at 8:50am

Alok Mittal जी शुक्रिया आपका

Comment by umesh katara on November 27, 2014 at 8:50am

somesh kumar जी शक्रिया आपका

Comment by umesh katara on November 27, 2014 at 8:49am

 Hari Prakash Dubeyजी आपका आभार

Comment by umesh katara on November 27, 2014 at 8:48am

शुक्रिya shyam Narain Verma ji या 

Comment by Shyam Narain Verma on November 26, 2014 at 9:54am

बहुत खूब ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, गजल पर आपको दिल से बधाई

Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 2:11am

आदरणीय उमेश जी,हार्दिक बधाई

Comment by somesh kumar on November 25, 2014 at 7:29pm

मुद्दतों से पलक बन्द करके चला हूँ
मैं समन्दर को आँखों में भरके चला हूँ|

पहला और तीसरा से'र ज़्यादा पसंद आया ,वैसे सारी गज़ल ही भावनाओं का सागर बन के उमड़  पड़ी है |
....

Comment by Alok Mittal on November 25, 2014 at 6:08pm

बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने आद उमेश जी ....बहुत बधाई आपको

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:00pm

बहुत सुन्दर गज़ल हुई आ० उमेश जी ..बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on November 25, 2014 at 12:13pm
ज़ोरदार कहन आदरणीय उमेश जी।।हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service