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apki nazr e inayat hui is rachna par...apka aabhari hu Arun ji...hardik dhanyavaad peeth thapthapane ke liye...
rachna ki sarthakta uske kaal jayi hone men hai aur abhivyakti ke dharatal par aapki ye rachna safal hai haardik badhai !!
बेटी बन जब पिया घर जाती
आँसू की धारा बह जाती.......
यही सामाजिक जाल है भाई, इस परंपरा के ताने में सभी बंधे हुए है , दुष्यंत भाई बहुत दिनों के बाद OBO पर आपका आगमन और वह भी महिला दिवस पर एक हृदयस्पर्शी रचना के साथ सुखकर अनुभूति है |
एक सुंदर काव्य कृति पर बधाई स्वीकार करे और OBO आप का अपना परिवार है इतना दुरी बनाना ठीक नहीं :-)
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