For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- मुहब्बत का तराना तो बहुत गाया हुआ है ( गिरिराज भंडारी )

मुहब्बत का तराना तो बहुत गाया हुआ है

**************************************

1222    1222    1222     122 

न आये होश अब यारों नशा छाया हुआ है  

सँभल ऐ बज़्म दिल अब वज़्द में आया हुआ है

 

ज़रा राहत की कुछ सांसें तो लेलूँ मैं ,कि सदियों

बबूलों को मनाया हूँ तो अब साया हुआ है 

 

हथौड़ा एक तुम भी मार दो लोहा गरम पर

यहाँ मज़हब को ले के खून गरमाया हुआ है

 

अँधेरा बांट के भी रोशनी का मुंतज़िम , वो

तुम्हें किसने कहा, ग़मगीन, शर्माया हुआ है ?

 

सुना है आइनों की बस्ती में फिर कोई पत्थर

वहाँ की तेवरी से खूब घबराया हुआ है

 

कि अब सरकश तराने का कोई आगाज़ भी हो 

मुहब्बत का तराना तो बहुत गाया हुआ है

 

मुझे बज़्मे तरब की रोशनी में मत घसीटो

मेरे अन्दर का सन्नाटा मुझे भाया हुआ है

******************************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 24, 2014 at 5:43am

आदरणीय मुकेश भाई , सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका दिली  आभार ।

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 21, 2014 at 10:16am

bahut khoob mitra


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2014 at 11:50pm

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका दिली शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2014 at 11:49pm

आ. गुमनाम भाई , आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2014 at 11:48pm

आदरणीय सुशील सरना भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2014 at 11:47pm

आदरणीय विजय भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका दिली शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2014 at 11:46pm

आदरणीया राजेश जी , गज़ल की सराहना और सलाह के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by Hari Prakash Dubey on November 20, 2014 at 5:14pm

मेरे अन्दर का सन्नाटा मुझे भाया हुआ है...बहुत खूब , हार्दिक बधाई आदरणीय श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by gumnaam pithoragarhi on November 19, 2014 at 8:02pm

बहुत खूब................

Comment by Sushil Sarna on November 19, 2014 at 7:45pm

वाह आदरणीय गिरिराज जी बहुत ही सुंदर ग़ज़ल जिसका हर शे'र अपनी महक से ग़ज़ल में छाया हुआ है ....
मुझे बज़्मे तरब की रोशनी में मत घसीटो
मेरे अन्दर का सन्नाटा मुझे भाया हुआ है … मज़ा आ गया सर … इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service