For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-मुद्दतों से वो तेरी तस्वीर धुँधलाती नहीं

2122 2122 2122 212
---------------------------------
तंग सी तेरी गली की याद वो जाती नहीं 
मुद्दतों से वो तेरी तस्वीर धुँधलाती नहीं
..
बे-जबाबी हो चुके हैं ला-ज़बाबी ख़त मेरे 
क्या मेरी चिट्ठी तेरे अब दिल को धड़काती नहीं
..
खत्म होने को चला है सिलसिला तेरा मेरा 
बेव़फाई पर तेरी क्यों आके पछताती नहीं
..
झूठ से तकदीर लिखना खूब आता है तुझे
लूटकर तू दिल किसी का लौट कर आती नहीं
..
खौफ़ हावी हो चुका है आज तेरा शहर में
कत्ल करके भी तेरी आबाज़ घबराती नहीं

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
..


Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on November 14, 2014 at 8:44pm

तहेदिल से शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 13, 2014 at 8:58pm

झूठ से तकदीर लिखना खूब आता है तुझे
लूटकर तू दिल किसी का लौट कर आती नहीं----वाह वाह 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आ० उमेश जी बहुत- बहुत बधाई 
..

Comment by umesh katara on November 13, 2014 at 9:32am

शुक्रिया श्याम नाराइन जी

Comment by umesh katara on November 13, 2014 at 9:31am

शुक्रिया योगराज प्रभाकर जी


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 12, 2014 at 11:34am

 बहुत खूब आ० उमेश कटारा जी।

Comment by Shyam Narain Verma on November 12, 2014 at 10:28am

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by umesh katara on November 12, 2014 at 9:44am

शुक्रिया सोमेश कुमार जी आपका

Comment by somesh kumar on November 11, 2014 at 11:32pm

bejwabi-lajwabi -dhdkati me ye chitthi ,wah gzb dha diya aap ne 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service