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यदि मैं आज हूँ

आज के बाद भी हूँ मैं

तो वह अवश्‍य होगा।

यदि जीवन की गूँज

जीने की अभिलाषा

लय भरा संगीत है, तो

वह अवश्‍य होगा।

यदि उसमें नदी का

कलकल नाद है

पंखियों का कलरव है

कोयल का कलघोष है, तो

वह अवश्‍य होगा।

यदि हम उत्‍तराधिकारी हैं

हमसे वंशावली है

हम योग का एक अंश हैं, तो

वह अवश्‍य होगा।

ब्रह्माण्‍ड की धधकती आग से

निकल कर शब्‍द ब्रह्म का

निनाद यदि है, तो

वह अवश्‍य होगा।

जो उत्‍पत्ति का एक मात्र

मूक साक्षी रहा हो और

जो प्रलय का भी एक मात्र

साक्षी होगा, तो

निर्विवाद, शाश्‍वत और

अक्षुण्‍ण है, यह कि

वह कल था !

वह आजकल है !!

और

अवश्‍य ही कल होगा !!!

*मौलिक एवं अप्रकाशित* 

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Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 5:23pm

जो उत्‍पत्ति का एक मात्र

मूक साक्षी रहा हो और

जो प्रलय का भी एक मात्र

साक्षी होगा, तो

निर्विवाद, शाश्‍वत और

अक्षुण्‍ण है, यह कि

वह कल था !

वह आजकल है !!

और

अवश्‍य ही कल होगा !!!-----जी बिलकुल सही कहा वो सर्वशक्तिमान ,इस जगत को आज चला रहा है तो कल भी चलाएगा यह सकारात्मक आध्यात्मिक चिंतन .मन मंथन बहुत अच्छा लगा ,बहुत बहुत बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए|  

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