For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये रिमझिम सावन, अति मन भावन, करते पावन, रज कण को ।
हर मन को हरती, अपनी धरती, प्रमुदित करती, जन जन को ।
है कलकल करती, नदियां बहती, झर झर झरते, अब झरने ।
सब ताल तलैया, डूबे भैया, लोग लगे हैं, अब डरने ।।
-----------------------------------------------------------

मौलिक अप्रकाशित

Views: 517

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 6, 2014 at 8:04pm

सुन्दर प्रयास जैसा की आ० सौरभ जी ने सुझाव दिया उसको दुरस्त कर लेंगे तो बहुत सुन्दर त्रिभंगी छंद हो जाएगा 

ये रिमझिम सावन, अति मन भावन, करता पावन, रज कण को

सब ताल तलैया, डूबे  भैया,---करके देखिये 

आपको बहुत- बहुत बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 6:55pm

//आपके निर्देश/सुझााव का मुझे सदैव प्रतिक्षा रहता है //

आपके निर्देश/सुझावों की मुझे सदैव प्रतीक्षा रहती है । 

शुभेच्छाएँ आदरणीय

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 5, 2014 at 6:39pm

सभी महानुभवों का सादर आभार
आदरणीय सौरभजी आपके निर्देश/सुझााव का मुझे सदैव प्रतिक्षा रहता है ।  आपके अबतक प्राप्त सुझााओं के बल पर अब तक अभ्यास कर पा रहा हू, जो प्रश्न आप खडे किये वाजीब है, संशोधन का प्रयास करूंगा आपका हार्दिक अभिनंदन आभर ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 6:19pm

पाठकों की हार्दिक बधाइयों से आप्लावित यह रचना अब मेरे जैसों से कोई प्रश्न कैसे या क्यों स्वीकार करे ?

अन्यथा मैं पूछता -
१. सावन पुल्लिंग की तरह व्यवहृत होता है. किन्तु, पहले पद में इसकी क्रिया स्त्रीलिंग है.
२. नदियाँ बहुवचन है संज्ञा है. तीसरे पद में ’करती’ या ’बहती’ उपयोग किया गया है.
३. जब इतना बढिया वातावरण है, सभी ’नाच’ रहे हैं तो ’लोग’ ’डरने’ क्यों लगेंगे ? इसके लिए कोई कारण नहीं बताया गया है.

आदरणीय रमेशजी, आपकी प्रस्तुति वस्तुतः एक अभ्यास प्रस्तुति है. अतएव, अपेक्षित है कि रचनाओं को प्रस्तुत करने में गंभीरता बरती जाय. अलबत्ता, मात्रिकता संयोजन निर्दोषहुआ है.
सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 5, 2014 at 12:24pm

मन भावन सुन्दर रचना  प्रस्तुति के लिए बधाई श्री रमेश चौहान जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2014 at 11:19am

वाह वाह ! , रमेश भाई ,पढ़ के मज़ा आगया , शिल्प का ज्ञान तो नही है , लेकिन आनन्द आया ! बधाइयाँ ।

Comment by रमेश कुमार चौहान on August 4, 2014 at 4:57pm

आप सभी का सादर आभार

Comment by savitamishra on August 4, 2014 at 11:57am

सुन्दर प्रस्तुति.............हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on August 3, 2014 at 8:03pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय। ।   हार्दिक बधाई आपको 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 3, 2014 at 7:56pm

वाह वाह क्या कहने!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service