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दोहे // प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //

दोहे // प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा //
-------------------------------------
माँ वंदन नित है सदा, किरपा दया निधान
अज्ञानी मै बहुत बड़ा, दे दो मुझको ज्ञान
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क्षीर सागर शयन किये, लक्ष्मी पति हरिनाथ
सुरमुनि यशोगान करें, जोड़े दोनों हाथ
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नवरात्री की अष्टमी , देवी पूजो आय
चरण शरण जगदम्बिका, घर घर बजे बधाय
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आशीष आपको सदा, मंगल हो सब काज
माँ भगवती रक्षा करे , निर्भय करिये राज
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राधिका संग गोपियाँ, पहुँची जमुना तीर
किशना फोडत मटकियाँ , ग्वाला खावत खीर
-----------------------------------------
मौलिक / अप्रकाशित
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
१-८-२०१४

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Comment by रमेश कुमार चौहान on August 3, 2014 at 8:19pm

इस प्रयास के लिये हार्दिक बधाई

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 3, 2014 at 8:07pm

राधिका संग गोपियाँ, पहुँची जमुना तीर 
किशना फोडत मटकियाँ , ग्वाला खावत खीर 

मुंह में पानी आ गया, मिलती थोड़ी खीर!

Comment by Meena Pathak on August 2, 2014 at 3:27pm

बहुत सुन्दर दोहे ..सादर बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 2, 2014 at 1:22pm

स्नेही केवल प्रसाद जी 

सादर 

स्नेह हेतु आभार . मार्ग दर्शन  अपेक्षित 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 2, 2014 at 1:21pm

आदरणीय भंडारी सर जी 

सादर 

स्नेह हेतु आभार . मार्ग दर्शन सादे अपेक्षित 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 2, 2014 at 10:21am

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा भाई , सुन्दर दोहों के लिए बधाइयाँ | आदरणीया प्राची जी की बातों का ख़याल कीजिएगा |

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 1, 2014 at 8:46pm

आ0 कुशवाहा सर जी,   प्रणाम! भावपूर्ण सुन्दर दोहे।  बहुत-बहुत बधाई। सादर,  शुभ-शुभ

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 7:05pm

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव  जी 

सादर 

स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 7:04pm

आदरणीया प्राची जी 

सादर 

आप जानती हैं किन परिस्थितियों में हूँ. जो सीख रहा हूँ आप सब के सानिध्य में हीसीख रहा हूँ. आप जो कह रही हैं सत्य है. मात्रा  की गलती इस रचना में नही जान पाया. प्रयास रत रहूँगा . धीरे धीरे सारी विधा भी जरुर आयेगी. आप सब बेधडक अपने अमूल्य समय में मुझे भी दीजियेगा 

स्नेह हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 1, 2014 at 6:59pm

आदरणीय लड़ी वाला जी 

सादर 

स्नेह हेतु आभार 

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