For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुभें ये अगर साफ़ बातें मेरी (ग़ज़ल 'राज')

१२२  १२२  १२२  १२

 

जहाँ  गलतियाँ हों बता दें मेरी

चुभें  ये  अगर साफ़ बातें मेरी

 

तुम्हें जिन्दगी दी तो हक़ भी मिला

तुम्हारे कदम पे निगाहें  मेरी

 

हर इक मोड़ पर तुम मुझे पाओगे

नहीं हैं जुदा तुमसे राहें  मेरी

 

तुम्हें नींद आती नहीं है अगर

कहाँ फिर कटेंगी ये रातें मेरी

 

छुपा क्या सकोगे जबीं की शिकन

हमेशा पढ़ेंगी ये आँखें मेरी

 

तुम्हारी हिफ़ाज़त करूँ जब तलक

चलेंगी तभी तक ये साँसें मेरी

 

नहीं आज तुम कुछ समझ पाओगे 

समझ जाओगे कल ये बातें मेरी

 

नसीहत लगें आज तुमको फ़कत

समझना इन्हें कल दुआएँ मेरी

-------------------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2014 at 1:12pm

तुम्हें नींद आती नहीं है अगर

कहाँ फिर कटेंगी ये रातें मेरी .. .

इस शेर के आलोक में मैं आपकी इस ग़ज़ल को देख गया, आदरणीया राजेश कुमारीजी. 

यों, मैं भी ग़ज़ल को सब्जेक्टिव विधा नहीं मानता. ग़ज़लियत ग़ज़ल का प्राण है. इसी के कारण ग़ज़ल प्रभावी और प्रचलित है. उस हिसाब से आपकी इस ग़ज़ल के शेर निर्पेक्ष लगे हैं.  शेरों को इसी कारण इन्हें दाद मिलनी चाहिये.

दिल से बधाई.. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 24, 2014 at 12:06pm

आ० डॉ गोपाल नारायण जी ,ग़ज़ल की नब्ज आपने पकड़ी है ,आपकी पारखी नज़र को सलाम/ नमन सच कहा इस ग़ज़ल में एक माँ के अपने बच्चों के प्रति होने वाली चिंता , फ़िक्र तथा प्रेक्षण को ही शब्दों में बांधा है मैंने,आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया सादर.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 24, 2014 at 12:01pm

जितेन्द्र गीत भैय्या ,आपको ग़ज़ल पसंद आई उसके अन्दर के दर्द को आप महसूस कर सके मानो मेरी ग़ज़ल सार्थक हुई ,तहे दिल से आभार आपका |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 24, 2014 at 11:21am

महनीया

यह तो माँ के दिल  की आवाज  लगती है  i बेहद भावपूर्ण i बेटे को नसीहत भी देती हुयी i उसकी परीक्षा भी लेती हुयी i  और यह शाश्वत सत्य  भी कि -

नहीं आज तुमको समझ आएगा

समझ जाओगे कल ये बातें मेरी

 नसीहत लगें आज तुमको फ़कत

समझना इन्हें कल दुआएँ मेरी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 24, 2014 at 11:16am

बहुत खुबसूरत गजल,आदरणीया राजेश दीदी. दिल में उठती पीर को बहुत खूबसूरत और धीमे-धीमे स्वर  से बह्र में बाँध दिया आपने. दिली बधाईयाँ आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 24, 2014 at 9:42am

आ० डॉ विजय शंकर जी,ग़ज़ल आपको पसंद आई तहे दिल से आभार सादर . 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 23, 2014 at 10:54pm
नसीहत लगें आज तुमको फ़कत
समझना इन्हें कल दुआएँ मेरी
बहुत सुन्दर आदरणीय राजेश कुमारी जी , बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service