For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मरा था मैं तड़प कर वो जमाना भी भुला देना
बसाया था तुझे दिल में फसाना भी भुला देना

जले खुद थे चरागो से बचाया था तुझे हमने
नहीं ये राह फूलो की बताना भी भुला देना

सहे है दर्द हम कितने पता हो तो जरा बोलो
छुपा कर दर्द मेरा  मुस्‍कुराना भी भुला देना

निगााहो में बसाया था तुझे आखे बनाया था
चली जो छोड़ कर अाँसू बहाना भी भुला देना


उड़े आंचल तुम्‍हारे थे सभाला था हवाओं से
कहा था कुछ हवाओं ने बताना भी भुला देना

मौलिक एवं अप्रकाशित

अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on August 2, 2014 at 10:11am

सर्व प्रथम मैं देरी के लिये क्षमा चाहता हूँ मैं बाबा बरफानी के दर्शन के लिये गया हुआ था। हम आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आज जो कुछ भी हूँ आप सब की मेहनत का फल है आशीवाद बनाये रख्‍ेा।

Comment by Akhand Gahmari on August 2, 2014 at 10:10am

सर्व प्रथम मैं देरी के लिये क्षमा चाहता हूँ मैं बाबा बरफानी के दर्शन के लिये गया हुआ था। हम आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय लक्ष्‍मण प्रसाद लाडीवाल जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 6:25pm

उम्दा भाव लिए सुंदर गजल  श्री अखंड गहमरी जी | -


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2014 at 2:39pm

आदरणीय अखण्ड भाई , बहुत ही लाजवाब गज़ल कही है । हर शे र खूब सूरत हैं , पूरी ग़ज़ल के लिये मेरी दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

कहींं कहीं टँकण की त्रुटियाँ हैं , सुधार लीजियेगा ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 23, 2014 at 10:50pm
सुन्दर रचना , बधाई .
Comment by Shyam Narain Verma on July 23, 2014 at 4:55pm
सुंदर भावों की सुंदर गजल   … हार्दिक बधाई आदरणीय.....
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 23, 2014 at 11:08am

बहुत खूबसूरत गजल , आदरणीय भाई अखंड जी. दिली बधाइयाँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 3:35pm

आपके कहे में अब गहनता आने लगी है, भाई अखण्ड जी.

इस प्रयास के लिए दिल से बधाई लें .. .

शुभ-शुभ

Comment by ARVIND KUMAR PATHAK on July 22, 2014 at 1:11pm

bahut

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 22, 2014 at 11:22am

बहुत खूब गहमरी जी

उड़े आंचल तुम्‍हारे थे सभाला था हवाओं से
कहा था कुछ हवाओं ने बताना भी भुला देना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service