For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - कोयला दहके तो अच्छा है ( गिरिराज भंडारी )

2122     2122     2122     2

अब हवा है , कोयला दहके तो अच्छा है        

देख ले ये बात भी कहके तो अच्छा है

 

खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना

इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है

 

सीलती सी, उस अँधेरी झोपड़ी में भी ,

देखते हैं आप जो रहके , तो अच्छा है

 

कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का

दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है

 

ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में

अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है

 

इन सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान  

झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है  

*************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित  ( संशोधित )

 

Views: 1029

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 17, 2014 at 4:59pm

आदरणीय आशुतोष भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह् वर्धन के लिये आपका आभार ॥

Comment by Maheshwari Kaneri on May 17, 2014 at 4:03pm

  बहुत सुन्दर.. लाजवाब गजल .. आदरणीय गिरिराज जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Vindu Babu on May 17, 2014 at 2:40pm

 कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का

दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है...क्या बात है आदरणीय भंडारी जी।

बहुत बधाई आपको इस सुंदर गज़ल के लिए।

सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 2:16pm

कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का

दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है

इस सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान  

झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है  ...आदरणीय गिरिराज भाईसाब .बेहतरीन शेरो के ग़ज़लरूपे गुलदस्ते के इन दो शेरो के लिए बिशेष रूप से बधाई के साथ सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 17, 2014 at 1:06pm

आदरणीया कुंती जी , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 17, 2014 at 1:05pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 17, 2014 at 1:05pm

आदरनीय लक्ष्मण धामी भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by coontee mukerji on May 17, 2014 at 12:05am

कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का

दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है......बहुत सुंदर..और अच्छी गज़ल के लिये हार्दिक  बधाई.गिरिराज जी...सादर

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 16, 2014 at 11:21pm

कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का

दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है........कितनी गहन बात

इस सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान  

झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है........... यथार्थ  :-))

बहुत लाजवाब गजल हुई आदरणीय गिरिराज जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 16, 2014 at 11:56am

खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना

इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है .... बहुत खूब

 

कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का

दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है..... क्या महीन बात कही आदरणीय भाई गिरिराज जी , कोटि कोटि हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service