बह्र : 2122/2122/212
बिंदी, काजल, झुमके, बेसर, चूड़ियां
पास वो रखतीं हैं कितनी बिजलियां
आज फिर उसने किया है मुझको याद
आज फिर अच्छी लगीं हैं हिचकियां
खुशबू तेरी लाएगी बाद-ए-सबा [बाद-ए-सबा = सुब्ह की हवा]
खोल दी कमरे की मैंने खिड़कियां
तेरी जुल्फों से उलझती है हवा
काश मैं भी करता यूं अठखेलियां
दिल तो तेरे नाम से मंसूब था [मंसूब= निर्दिष्ट, Assign]
यूं बहुत आई थी दर पे लड़कियां
जब से आई है मेरे कॉलेज में वो
अच्छी लगती हैं नहीं अब छुटि्टयां
नाम तेरा आ गया लब पर मेरे
हो गईं मुझसे खफा सब तितलियां
रूठने का राज मैं समझा 'शकील'
कान भरतीं हैं तुम्हारी बालियां
-शकील जमशेदपुरी
_____________________
*मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
सुन्दर एवं शानदार ग़ज़ल कहने हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ. शकील जी
मज़ा आ गया.. दाद कुबू्ल करें, शकील भाई.
जब से आई है मेरे कॉलेज में वो ... वो ? ये अधिक नहीं है ?
बहुत ही सुन्दर गजल! आदरणीय शकील जी!
रूठने का राज मैं समझा 'शकील'
कान भरतीं हैं तुम्हारी बालियां---------अच्छा प्रयोग
बधाई बधाई
खुशबू तेरी लाएगी बाद-ए-सबा
खोल दी कमरे की मैंने खिड़कियां
रूठने का राज मैं समझा 'शकील'
कान भरतीं हैं तुम्हारी बालियां............ बढ़िया ग़ज़ल शकील जी
नाम तेरा आ गया लब पर मेरे
हो गईं मुझसे खफा सब तितलियां
वाह खूबसूरत ग़ज़ल भाई शकील जी !!
बिंदी, काजल, झुमके, बेसर, चूड़ियां
पास वो रखतीं हैं कितनी बिजलियां.....क्या बात है. बिजलियाँ क्या गिरती भी थी...शकील भाई.दाद कूबूल करें.
आदरणीय शकील भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , दिली दाद कुबूल करें ।
बहुत खूब आदरणीय शकील भाई अच्छी ग़ज़ल कही है आपने
नाम तेरा आ गया लब पर मेरे हो गईं मुझसे खफा सब तितलियां
रूठने का राज मैं समझा 'शकील' कान भरतीं हैं तुम्हारी बालियां
आदरणीय शकील जी
बहुत खूब.. क्या कहने
इस शरारती ग़ज़ल पर मेरी तरफ से मुबारकबाद.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online