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संदेसा भेज दे ,कान्हा को कोई ----(कुडंली छंद)

कुडंली छंद 

छंद-लक्षण: जाति त्रैलोक लोक , प्रति चरण मात्रा २१ मात्रा, चरणांत गुरु गुरु (यगण, मगण), यति ११-१०।

अँखियों से झर रहे,बूँद-बूँद मोती,

राधा पग-पग फिरे,विरह बीज बोती|

सोच रही काश मैं ,कान्हा  सँग होती,

चूम-चूम बाँसुरी,अँसुवन से धोती|

 

मथुरा पँहुचे सखी ,भूले कन्हाई,  

वृन्दावन नम हुआ ,पसरी तन्हाई|

मुरझाई देखता ,बगिया का माली,

तक-तक राह जमुना ,भई बहुत काली|

 

 खग,मृग, अम्बर, धरा,हँसना सब भूलें,  

 जूही ,टेसू, कमल ,महुआ ना फूलें|

 पूछ रही डालियाँ ,कौन संग झूलें,   

 निष्ठुर, निष्पंद हिय, उठती हैं हूलें|   

 

 

कोयलिया डार पर ,कुहुक-कुहुक रोई,

बीतें जग-जग दिवस ,रतियाँ न सोई|

बिरही  पगडंडियाँ , शूल- शूल बोई, 

 संदेसा भेज दे ,कान्हा  को  कोई|    

----------------------------------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:10am

प्रिय सावित्री राठौर जी, आपको ये छंद पसंद आया आपका हार्दिक आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:08am

प्रिय प्राची जी, प्रस्तुति पर आपकी सराहना मुझे प्रस्तुति के लिए आश्वस्त करती है हार्दिक आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:07am

प्रिय विंदु बाबू जी, आपका हार्दिक आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2014 at 10:06am

आ० कल्पना रामानी जी, आपको ये छंद गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ,आपको ह्रदय तल से आभार प्रेषित है  

Comment by Savitri Rathore on May 8, 2014 at 11:22pm

आ ० राजेश जी,सुन्दर विरह वर्णन क़ी भावपूर्ण अभिव्यक्ति हेतु आप बधाई की पात्रा हो। बहुत बहुत बधाई !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 6, 2014 at 8:11am

कान्हा के विरह में वृन्दावन के पात पात डाली डाली की विरह तड़प को बहुत सुन्दरता से संवेदनशीलता से शब्दबद्ध किया है आदरणीया राजेश कुमारी जी 

बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by Vindu Babu on May 6, 2014 at 5:11am
सुंदर कुंडलियाँ..सुंदर भाव।
आपको हार्दिक बधाई आदरणीया।
सादर
Comment by कल्पना रामानी on May 3, 2014 at 8:18pm

बहुत सुंदर छंद गीत! हार्दिक बधाई आपको आदरणीया राजेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 2, 2014 at 9:54am

प्रिय सरिता ,आपको ये छंद रुचिकर लगा मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हृदय से आभारी हूँ. 

Comment by Sarita Bhatia on May 2, 2014 at 9:28am

वाह दी एक नए छंद के ज्ञान के साथ कितनी प्यारी रचना हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

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