For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज मेरे देश में (घनाक्षरी छंद)


मनहरण घनारक्षरी छंद -31 वर्ण चार चरण 8,8,8,7 पर यति चरणांत गुरू
..............................................................
झूठ और फरेब से, सजाये दुकानदारी ।
व्यपारी बने हैं नेता,  आज मेरे देश में ।।
वादों के वो डाले दाने, जाल कैसे बिछायें है ।
शिकारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
जात पात धरम के, दांव सभी लगायें हैं ।
जुवारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
तल्ख जुबान उनके, काट रही समाज को ।
कटारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।

दामन वो फैलाकर, घर घर तो घूम रहे ।
भिखारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
मंदिर मस्जिद द्वार,  वह माथा टेक रहे ।
पुजारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
मनोहारी करतब, वो तो अब दिखा रहे ।
मदारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
दंगो के बुझे आग को, फिर वो सुलगा रहे ।
चिंगारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
....................................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 9, 2014 at 4:32pm

आ. इस सुन्दर प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2014 at 10:25pm

नेताओं के आधुनिक चरित्र  का सुन्दर बखान हुआ है 

छंदों में गेयता कहीं कहीं बाधित लगी..

आदरणीया राजेश कुमारी जी के कहे पर भी गौर अवश्य करें 

इस सुन्दर प्रयास पर मेरी बधाई स्वीकारें 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 1, 2014 at 12:43pm

सुन्दर सामयिक  घनाक्षरी , हार्दिक  बधाई , रमेश भाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2014 at 12:24am

सच! यही सब कुछ हो रहा है आज,  बधाई स्वीकारें आदरणीय रमेश जी

Comment by रमेश कुमार चौहान on April 30, 2014 at 11:13pm

आदरणीया राजेशदी एवं मीनादी हार्दिक आभार मेरे प्रयास को सराहने के लिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2014 at 8:13pm

झाूठ और फरेब से, सजाये दुकानदारी ।-----झूठ कर लें टंकण त्रुटी हो रही है 

तल्ख जुबान उनके, काट रहे समाज को ।---तल्ख़ जुबान उनकी ,काट रही समाज को कर लें 

आज के हालात पर ..नेताओं पर कटाक्ष करती सुन्दर घनाक्षरी ,बहुत-बहुत बधाई आपको. 

Comment by Meena Pathak on April 29, 2014 at 3:06pm

बहुत सुन्दर ... बधाई रमेश जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
49 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
59 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service