For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे जीवन के मधुबन में : गीत /नीरज नीर

सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में

प्रेम सिंचित हरी वसुंधरा
पल पल में जीवन महकाओ
परितप्त ह्रदय के मरुतल पर
मेघा दल बन कर छा जाओ
बस जाओ न प्रतिबिम्ब बनकर
मेरे जीवन के दर्पण में.
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में ..

तुझ से ही है मेरा होना
तुझ से मिलकर हँसना रोना
तुम चन्दा , मैं टिम टिम तारा
अर्पण तुझ पर जीवन सारा
तुझ से दूर रहूँ मैं कैसे
आसक्त बंधा हूँ बंधन में
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में ...

प्रेम भाव की अविरल धारा
तुम दिल जीती या मैं हारा
बात बराबर दोनों ही है
तुम मेरी या मैं तुम्हारा
एक ख्वाब बन कर बसी रहो
तुम मेरे दोनों नयनन में
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में ..

नीरज कुमार नीर 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on April 19, 2014 at 8:21pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा.. आपकी सलाह सर आँखों पर .. 

Comment by Neeraj Neer on April 19, 2014 at 8:20pm

सलीम राजा साहब आपका आभार.. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 19, 2014 at 5:47pm

प्रेम भाव को समर्पित सुन्दर गीत रचा है आ० नीरज नीर जी 

दुसरे और तीसरे बंद का प्रवाह बहुत सुन्दर है

तुझ से ही है मेरा होना 
तुझ से मिलकर हँसना रोना 
तुम चन्दा , मैं टिम टिम तारा
अर्पण तुझ पर जीवन सारा 
तुझ से दूर रहूँ मैं कैसे 
आसक्त बंधा हूँ बंधन में..................वाह 

उस दृष्टी से प्रथम बंद और मुख्य पंक्तियाँ थोड़ा सा और प्रयत्न मांगती हैं 

बनकर सुगंध तुम आ जाओ................यदि ऐसे करें तो ?

मेरे जीवन के मधुबन में 

इस स्वप्न पगे सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by SALIM RAZA REWA on April 12, 2014 at 10:11pm

सुन्दर  गीत के लिये बधा

Comment by Neeraj Neer on April 11, 2014 at 8:41am

जितेन्द्र गीत भाई साहब बहुत बहुत धन्यवाद .

Comment by Neeraj Neer on April 11, 2014 at 8:41am

आ. गिरिराज भंडारी साहब आपका आभार. 

Comment by Neeraj Neer on April 11, 2014 at 8:40am

हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्ण बाजपाई जी . 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 10, 2014 at 10:51pm

तुझ से ही है मेरा होना
तुझ से मिलकर हँसना रोना
तुम चन्दा , मैं टिम टिम तारा
अर्पण तुझ पर जीवन सारा
तुझ से दूर रहूँ मैं कैसे
आसक्त बंधा हूँ बंधन में
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में.................बहुत सुंदर. मन को छू जाते भाव, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय नीरज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 10, 2014 at 10:48pm

आदरणीय नीरज भाई , सुन्दर प्रेम गीत के लिये बधाइयाँ !! 

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 2:12pm

आ0 नीरज कुमार जी सुंदर गीत , बधाई स्वीकारें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
18 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
21 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service