For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आखिर, कितने दिनों के वास्ते ?

खिलना नहीं है बाग में

मिलना है जिसको खाक में

ध्यान में उसका धरूँ

कितने दिनों के वास्ते ?

विश्वास अपनों का धरूँ

उपहास अपना क्यों करूँ ?

इतिहास अपना ही लिखूँ

कितने दिनों के वास्ते ?

अवसाद सपनों पर करूँ

फरियाद अपनों से करूँ

नित याद में खोई रहूँ

कितने दिनों के वास्ते ?

अभिमान मन की भूल है 

अरमान मन की चूक है

इस चूक को वरदान समझूँ

कितने दिनों के वास्ते ?

आगोश मैं उसकी चुनूँ 

खामोश मैं उसमें रहूँ

जो है सदा ही शाश्वत

मैं चलूँ, चलती रहूँ 

चुन लूँ उसी के रास्ते

जी लूँ उसी के वास्ते। 

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 846

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2014 at 9:37am

विश्वास अपनों का धरूँ

उपहास अपना क्यों करूँ ?

इतिहास अपना ही लिखूँ

कितने दिनों के वास्ते ? वाह्ह्ह बहुत सुन्दर प्रस्तुति है कल्पना जी हार्दिक बधाई.मन में उपजते प्रश्नों को बहुत खूबसूरती से ढाला है शब्दों में भाव ,लय प्रवाह सभी द्रष्टिकोण से पसंद आई रचना.  

Comment by kalpna mishra bajpai on April 14, 2014 at 9:59pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी हार्दिक शुक्रिया/सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on April 14, 2014 at 9:55pm

आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ला भ्रमर जी आपको रचना पसंद आई हमारे अहो भाग्य। हार्दिक आभार सर/सादर   

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 14, 2014 at 7:19pm

आगोश मैं उसकी चुनूँ 

खामोश मैं उसमें रहूँ

जो है सदा ही शाश्वत

मैं चलूँ, चलती रहूँ 

चुन लूँ उसी के रास्ते

जी लूँ उसी के वास्ते। 

आदरणीया कल्पना जी। बहुत सुन्दर भाव और उपर्युक्त पंक्तियाँ बस उसी का हो के रह जाना है
भ्रमर ५

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 14, 2014 at 9:13am

आदरणीया कल्पना जी , एक सुन्दर गीत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ .

Comment by kalpna mishra bajpai on April 11, 2014 at 10:13pm

आ० मीना दी लय में बधाई देना मेरे मन को भा गया हार्दिक आभार। सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on April 11, 2014 at 10:11pm

आदरणीय विजय मिश्रा जी हार्दिक आभार। सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on April 11, 2014 at 10:10pm

आ० नीरज सर हार्दिक आभार आपका। सादर  

Comment by बृजेश नीरज on April 11, 2014 at 7:35pm

बहुत सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by विजय मिश्र on April 11, 2014 at 5:23pm
प्रसंशा के शब्द चूक रहे हैं ,कितना मौलिक विषय !कितने स्पष्ट रूप में भावार्पण !धन्य,साधुवाद कल्पनाजी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
43 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
43 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service