ओ. बी. ओ. परिवार के सम्मानित सदस्यों को सहर्ष सूचित किया जाता है की इस ब्लॉग के जरिये बह्र को सीखने समझने का नव प्रयास किया जा रहा है|
इस ब्लॉग के अंतर्गत सप्ताह के प्रत्येक रविवार को प्रातः 08 बजे एक गीत के बोल अथवा गज़ल दी जायेगी, उपलब्ध हुआ तो वीडियो भी लगाया जायेगा, आपको उस गीत अथवा गज़ल की बह्र को पहचानना है और कमेन्ट करना है अगर हो सके तो और जानकारी भी देनी है, यदि उसी बहर पर कोई दूसरा गीत/ग़ज़ल मिले तो वह भी बता सकते है। पाठक एक दुसरे के कमेन्ट से प्रभावित न हो सकें इसलिए ब्लॉग के कमेन्ट बॉक्स को मंगलवार रात ०८ बजे तक माडरेशन में रख जायेगा। आपको इस अवधि के पहले पहले बह्र पहचाननी है फिर मंगलवार को रात 08 बजे कमेन्ट बॉक्स को खोल दिया जायेगा और गीत अथवा गज़ल की बह्र, बह्र का नाम और रुक्न प्रकाशित किया जायेगा और फिर शनिवार रात तक के लिए मंच चर्चा के लिए खुला रहेगा आशा करते हैं की इस स्तंभ से लोगों को बह्र को सीखने समझने में पर्याप्त सहायता मिलेगी। आप सबसे सहयोग की अपेक्षा है|
प्रस्तुत है इस सप्ताह की ग़ज़ल
बशीर बद्र साहब की मशहूर ग़ज़ल
सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
मांगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं
सोचा तुझे, देखा तुझे चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं
जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं
इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत मुँह से कहा कुछ भी नहीं
दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा बाकी बचा कुछ भी नहीं
अहसास की ख़ुश्बू कहाँ आवाज़ के जुगनू कहाँ
ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं
यदि आपको अपनी टिप्पणियाँ न दिखें तो परेशान न हों | टिप्पणियों को मोडरेशन में रखा गया है, जो मंगलवार रात ०८ बजे खोला जाएगा
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सोचा नहीं /अच्छा बुरा /देखा सुना /कुछ भी नहीं
२२१२ /२२१२ /२२१२ /२२१२
मांगा ख़ुदा/ से रात दिन/ तेरे सिवा/ कुछ भी नहीं
२२१२ /२२१२ /२२१२ / २२१२
बहरे रजज मुसम्मन सालिम ( मुफरद बहर )
बहर है
सोचा नहीं / अच्छा बुरा / देखा सुना / कुछ भी नहीं
मांगा ख़ुदा / से रात दिन / तेरे सिवा / कुछ भी नहीं
२२१२ २२१२ २२१२ २२१२
बहरे रजज मुसम्मन सालिम
ये श्रृंखला तीसरी कब आ गयी? दूसरे पे तो नजर गयी ही नहीं...
खैर, ये रज़ज की मुसमन सालिम बहर है। मेरे पसंदीदा। दो बहुत प्यारी धुन जो याद आ रही है इस वक्त इसी बहर वाली वो है:-
१. कल चौदवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा
२. माना हो तुम बेहद हसीं ऐसे बुरे हम भी नहीं
...कुछ और याद आते ही लौट कर आता हूं।
बह्र: रजज मुसम्मन सालिम
2212 2212 2212 2212
मुस्तफ्यलुन् मुस्तफ्यलुन् मुस्तफ्यलुन् मुस्तफ्यलुन्
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