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मुझे चिंता में डूबे देख
तुम दुहाई देते
जब तक मेरा हाथ है
तुम्हारे हाथ में
मेरी सांसें
तुम्हारी साँसों में महकती है
विश्वास है महत्वाकांक्षा के घोड़ों पर
जो हर बाधा पार कर लेंगे
जब तक हूँ मैं जीवित
तुम खुद को अकेला मत समझो
मैं हूँ ना हमेशा तुम्हारे साथ
तुम्हारा साया बनकर

वोही साया ढूढ़ती हूँ
चारों ओर
आठों पहर
शायद
साया खो गया है
मुझ में ही कहीं
जैसे दोपहर के सूर्य में
मेरी परिछाई
उसी से तो पाया है मैंने वजूद
अपने होने का
और वो महत्वाकांक्षा के घोड़े
दौड़ रहे हैं सरपट
तुम्हारे विश्वास के साथ
हर बाधा को पार करते हुए
...................................

   मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Meena Pathak on March 5, 2014 at 9:50pm
Aadrniya Sarita Ji aap Ki Rachna dil tak pahunchti hai...Sadar Badhai
Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 5, 2014 at 9:18pm

मैंने १४ फ़रवरी को फेसबुक पर एक स्टेट्स अपडेट डाला था..सोचता हूँ आपकी कविता पर प्रतिक्रिया स्वरूप उसी को पेस्ट कर दूं...

मैं बंदी हूँ -
उन असंख्य श्रृंखलाओं में-
जिनका ताना बाना -
बुनते हुए -
सदियों की -
अतृप्त ईच्छाओं ने -
हमारे चौखट पर -
अपने प्राण त्याग दिए हैं|

बधाई हो सरिता बहन..

Comment by Sarita Bhatia on March 5, 2014 at 9:04pm

आदरणीय आशुतोष जी हार्दिक आभार मार्गदर्शन करते रहें 

Comment by Sarita Bhatia on March 5, 2014 at 9:03pm

आदरणीय प्रदीप जी आपकी उत्साहित प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ है 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 5, 2014 at 5:45pm

साया खो गया है 
मुझ में ही कहीं 
जैसे दोपहर के सूर्य में 
मेरी परिछाई 
उसी से तो पाया है मैंने वजूद 
अपने होने का 
और वो महत्वाकांक्षा के घोड़े 
दौड़ रहे हैं सरपट 
तुम्हारे विश्वास के साथ आदरणीया सरिता जी मर्मस्पर्शी इस रचना के लिए तहे दिल बढ़ाई स्वीकार करें सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2014 at 4:33pm

साया खो गया है 
मुझ में ही कहीं 
जैसे दोपहर के सूर्य में 
मेरी परिछाई 
उसी से तो पाया है मैंने वजूद 
अपने होने का 

बहुत खूब 

क्या वर्णन किया है बधाई सादर आदरणीया जी 

Comment by Sarita Bhatia on March 5, 2014 at 4:08pm

आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on March 5, 2014 at 4:08pm

आदरणीया श्याम जी हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 5, 2014 at 3:11pm

आदरणीया सरिता जी , सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिये बधाई ॥

Comment by Shyam Narain Verma on March 5, 2014 at 2:54pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

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