For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं नारी हूँ ( कल्पना मिश्रा बाजपेई)

मैं नारी हूँ .. "कुसुम अवदात नहीं हूँ"

सौंदर्य बोध से गढ़ी हूँ 

मानवता के लिए कड़ी हूँ

सबके के लिए अहिर्निश खड़ी हूँ

भावनाओं से नित जड़ी हूँ

कभी किसी से नहीं हूँ कम,

इस बात पर अड़ी हूँ 

मैं नारी हूँ..... बिन स्वर का गान नहीं हूँ ।

दिल में उत्साह भरा है अपरिमित

हर वक्त सेवा में हूँ समर्पित 

शक्तियों से हूँ मैं निर्मित

जो चाहूँ वो करती हूँ अर्जित

इससे हूँ में सदा ही गर्वित

मैं नारी हूँ.........शक्ति से अंजान नहीं हूँ ।

नारी ही नर को नव जीवन देती

बदले में वो कुछ न लेती

हर पीड़ा को हँस कर सहती 

ना हो मुझसे कोई भी आहत

वो सदा ही खुद से यह कहती

मैं नारी हूँ........बिना फूल का बागान नहीं हूँ ।    

   

इस प्रवंचनाओं के जग में

खुद जीती हूँ खुदी से

हिमालय से बहती निर्मल गंगा में

अविरल बहती हूँ खुशी से

मैं नारी हूँ........निर्जन पोखर का पाषाण नहीं हूँ ।

गर करोगे मनुहार तो 

मोहिनी सी हूँ मैं 

करोगे  आघात तो 
शेरनी सी हूँ मैं

बहोगे मेरे साथ सहजता से तो 

तरने वाली तरणी हूँ

मैं नारी हूँ.......... बिना धार की तलवार नहीं हूँ ।

मैं बेटी हूँ

मैं पत्नी हूँ

मैं हूँ जननी

मैं नारी हूँ........किसी की जायदाद नहीं हूँ ।

नया गान गाती नारी ने

संभावनाओं को ढूंढ निकाला है

क्योंकि नारी ने खुद को पहचाना है

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित  

Views: 743

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on March 26, 2014 at 9:12pm

आदरणीय पाण्डेय सर बहुत बहुत आभार सादर !!!!!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 11:48am

इस रचना की अस्मिता को मेरा नम.

सादर

Comment by Vindu Babu on March 11, 2014 at 4:23pm
आदरणीय कल्पना जी:
रचना का कथ्य अच्छा लगा...नारी के बहुआयामी व्यक्तित्व चित्रण.
सादर
Comment by kalpna mishra bajpai on March 11, 2014 at 3:50pm

आदरणीया प्राची मैडम, आप सही कह रहीं हें। अभी मेरी लेखनी घुटनों के बल चलना सीख रही है ।

आप संबुद्ध जनों के सिखावन व प्रोत्साहन कि जरूरत हमेशा रहेगी ।नजरें इनायत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया । सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 11, 2014 at 1:42pm

नया गान गाती नारी ने

संभावनाओं को ढूंढ निकाला है

क्योंकि नारी ने खुद को पहचाना है...................बिलकुल सही बात 

अपने आप को अपनी शक्तियों को पहचाने से ही स्वाभिमान से नारी खड़ी हो सकी है.. जो ठान ले तो संभावनाएं अपरिमित 

नारी स्वाभिमान को शब्दबद्ध करती रचना... आपकी भावनाएं कथ्य बहुत सुन्दर हैं बस उन्हें शिल्प के लिहाज से थोड़ा और संयत हो कर निखारना है 

इस प्रस्तुति पर बधाई 

Comment by hemant sharma on March 6, 2014 at 10:50pm
आदरणीया कल्पना जी नारी स्वाभीमान को जीवंत करती आपकी कविता सामयिक भी है और सार्थक भी, आपको सादर बधाई.....
Comment by kalpna mishra bajpai on March 6, 2014 at 7:11pm

आ0 गिरराज भण्डारी जी आ0 लक्ष्मण धामी जी आप को यह रचना पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया ।सादर!!!!!!!!!

कल्पना मिश्रा बाजपेई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 6, 2014 at 6:13pm

आदरणीया माहेश्वरी जी , नारी गरिमा  को बहुत सुंदर शब्दों से संजोती रचना, बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 6, 2014 at 5:45pm

आदरणीया महेश्वरी जी , नारी अस्मिता को परिभाषित करती आपकी सुन्दर रचना के लिये बधाइयाँ ॥

Comment by annapurna bajpai on March 6, 2014 at 3:53pm

कल्पना जी बहुत खूब , बधाई आपको इस सुंदर रचना के लिए । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
23 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service