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हे हंस वाहिनी प्रमुदित स्वर दो

माँ कल्याणी करुणा कर दो

हे हंस .........

ध्यान करूँ माँ तेरा निस -दिन

मंद बुद्धि को नूतन अक्षर दो

अहंकार का नास करो माँ

वीणा पाणि जाग्रत कर दो

हे हंस ..........

जीवन में छाया अँधियारा

ज्योतिर्मय उर आँगन कर दो

हो जाए मन में उजियारा

वरद हस्त सिर पर माँ रख दो

हे हंस ...........

पल -पल चिंतन रहे चिरंतर

इतनी उर में शक्ति भर दो

स्वप्नों में हो ज्ञान निरंतर

शब्द सुरभि की लहर चला दो

हे हंस ...........

छू -छू मन मृत रज कण को माँ

बरसो शब्दों में मधु बनकर

कर दो तृण -तृण को चेतन माँ

आज लूटा दो प्यार का सागर

सन्स्क़ृति के माँ तू सावन दो

हे हंस ..........

क्षण भंगुर जीवन अँधियारा

फिरता हूँ मैं जग में भटमारा

देदो अपना तनिक सहारा

बुद्धि को झंक़ृत कर दो माँ

हे हंस वाहिनी प्रमुदित स्वर दो ।

माँ कल्याणी करुणा कर दो ।

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on March 11, 2014 at 9:23pm

आ.  कल्पना जी , सुन्दर माँ सरस्वती वन्दना के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by kalpna mishra bajpai on March 11, 2014 at 3:40pm

आ0 कल्पना दी ,आ0 मीना दी और जितेन्द्र सर आप लोग अपना समय देते हो मेरी छोटी सी कोशिश को दिल से आभारी हूँ !!!!!!!!

आप सभी से अनुरोध है कि जहाँ गलती लगे वहाँ जरूर टोकना............. धन्यवाद .........

Comment by Meena Pathak on March 11, 2014 at 9:32am
Maa ki kripa barastee rahe aap par .. Badhai
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 11, 2014 at 7:16am

 बहुत ही सुंदर मनमुग्ध कर देती, माँ सरस्वती की वंदना पर बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया कल्पना जी

Comment by कल्पना रामानी on March 10, 2014 at 11:14pm

आदरणीया कल्पना मिश्रा जी, मन से की गई प्रार्थना अवश्य फलीभूत होगी। शुभकामनाओं सहित हार्दिक बधाई  

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