For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी के दिल को छू पाया

2122  2122  2122  2122

राज की बात कहता हूँ समझ अब तक न तू पाया ।
सुकूँ देकर किसी को ही आदमी ने  सुकूँ  पाया ।

दौलतें शोहरतें जिनको कमानी हैं क़मा लें वो ,
मुझे इतना बहुत है जो किसी के दिल को छू पाया ।

बढ़ाये हाथ जब मैंने किसी को थाम लेने को ,
ख़ुशी का सिलसिला दिल में अचानक ही शुरू पाया ।

यहाँ हर शै से हर शै का एक अनबूझ रिश्ता है ,
जब दिल में चुभा काँटा तो आँखों में लहू आया ।

ढूँढ़ने ज़िन्दगी का राज मै जिस रोज से निकला ,
जहाँ के जर्रे जर्रे में नज़र मुझको गुरु आया ।

न था जब तक कहीं ना था अब है तो ये हालत है ,
नज़र को होते हर शै में खुदा से रुबरु पाया ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज 'प्रेम '

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 8, 2014 at 9:37am

आदरणीय नीरज भाई ..आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ..कई रचनाएँ पढी ..भाव बहुत अच्छे हैं रही बात शिल्प की तो तो उसपर बिद्व्त्जानो ने लिखा ही है ..बिद्व्त्जनो के साथ हम साझा प्रयास से सीख रहे हैं वाकई ये अद्भुत मंच है इस मंच से हम जुड़े हैं ..यह हम सबके लिए सुखद है ..आपकी रचना पर ढेर सारी बधाई के साथ ..सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 11, 2014 at 6:53pm

कई मिसरे बेबहर लग रहे हैं आ० नीरज मिश्रा जी 

ग़ज़ल की कक्षा में तक्तीह के भी उन्नत पाठ हैं अन्य आलेख है, उन्हें अवश्य देखें

बहराल इस प्रयास पर बधाई लें 

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 10, 2014 at 9:12pm

 प्रयास अच्छा है , गुणीजनो के बातो पर अमल करने पर परिणाम यथेष्ठ होगा । शुभ शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 10, 2014 at 6:26pm

आदरणीय नीरज भाई , लाजवाब बातें नही है आपने हर शे र में , मगर आपने जो बह्र उपर मे दिया है उसमे सभी शे र नही कह पाये हैं ,

आपकी गज़ल ,1222   1222   1222  1222  के भी बहुत करीब है , चाहें तो इसी बह्र के अनुसार सुधार कर सकते हैं ॥

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 4:33pm

भाव बहुत सुन्दर है ग़ज़ल के हार्दिक भाई नीरज जी  ....सादर

Comment by coontee mukerji on February 10, 2014 at 3:44pm

ढूँढ़ने ज़िन्दगी का राज मै जिस रोज से निकला ,
जहाँ के जर्रे जर्रे में नज़र मुझको गुरु आया ।....बहुत सुंदर...हार्दिक बधाई.

Comment by Meena Pathak on February 10, 2014 at 2:34pm

सुन्दर प्रयास हेतु बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 1:40pm

आदरणीय नीरज भाई आपके द्वारा लिखे गए वज्न पर ग़ज़ल खरी नहीं उतरती, मतला ही बेबह्र हो गया अब आपको थोडा गंभीर होना पड़ेगा पोस्ट करने से पहले स्वयं ही जांच कर लें संतुष्ट हो जाएँ.

2 1  2  2/   1  2  2 2 / 1  2   2   2     / 1  2  2 2

राज की बा / त कहता हूँ/ समझ अब तक/  न तू पाया ।

1 2  2 2  /1 2   2   2  / 2 1 2  2  / 1 2  2 2
सुकूँ देकर /किसी को ही /आदमी ने  / सुकूँ  पाया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service