For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आस बांधे खड़ा था

धूप से तन जल रहा था 

जेष्ठ भी तो तप रहा था

आस थी बरसात की

प्यास थी एक बूंद की

आ गिरेगी शीश पर

तृप्त होगी देह तब

यह सोच कर उत्साह मन में हो रहा था

घन-घटा चहूँ ओर छाती जा रही थी

मलय शीतल उमड़-घुमड़ के बह रही थी 

मेघ घिर-घिर आ रहे थे

मोर भी संदेश मीठा दे रहे थे

हर्ष दिल में हो रहा था

आनंद से छोटे बड़े सब घूमते

बाल मन से थे धरा को चूमते

एक दूसरे से मिल रहे जैसे गले

उल्लास चहूँ दिश हो रहा था 

बरखा रानी बैठ कर

मेघों के रथ पर झूमके

धो दिये सब के बदन

कर दिये शीतल ह्रदय

हम मिल रहे उन से गले

जैसे मिले शिशु मातु से

पूरी हुई सब आस मन की

मिट गए सब गिले सिकवे

कल्पना मिश्रा बाजपेई

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 333

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on February 14, 2014 at 11:48pm

सुंदर भाव पूर्ण रचना , बधाई आपको कल्पना जी । 

Comment by kalpna mishra bajpai on February 14, 2014 at 9:18pm

आप सभी का बहुत-बहुत आभार 

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 10, 2014 at 8:54pm

भावपूर्ण रचना के लिये बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 10, 2014 at 6:13pm

आदरणीया कल्पना जी , सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by coontee mukerji on February 10, 2014 at 3:50pm

बहुत सुंदर भाव है...कल्पना जी हार्दिक बधाई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 1:23pm

आदरणीया कल्पना जी बहुत सुन्दर रचना आपको बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service