For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल - बदनाम (अखंड गहमरी)

2122  2122   2122   2122

 

इस जमाने में हमे तुमकेा बुलाना भी नहीं हैं

तड़पते ही रहे मगर जख्‍म दिखाना भी नहीं है

चाँद छुप छुप जा रहा क्‍यों बादलो के संग देखो

राज की ये बात बेवफा को बताना भी नहीं है

दर्द ही हमको मिला जो दिल लगाया था किसी से

जख्‍म जो दिल पर लगे  उन्‍हे दिखाना भी नहीं है

आई फिर ना वो बहारे जो चली इस बार गई पर

दर्द फूलो का बहारो को बताना भी नहीं है

नाम भी बदनाम उसका प्‍यार में ना कर सके पर

मर गये तो चेहरा मेरा  दिखाना भी नहीं है

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2014 at 10:40pm

कोशिश अच्छी हुई है. फिर भी कसर है.

तड़पते - १२२  इस लिए मिसरा बेबह्र हुआ 

बेवफ़ा - २१२  इस लिए मिसरा बेबह्र हुआ

उन्हें - १२ इस लिए मसरा बेबह्र है

बार गई पर - २११२२ एक अतिरिक्त मात्रा आने से मिसरा बेबह्र है

चेहरा - २२ की मात्रा पर बाँधते हैं ..  :-((  ..

और ग़ज़लों में ना के प्रयोग से बचें और ना की जगह का प्रयोग करें

प्रयासरत रहें.

शुभेच्छाएँ

Comment by Akhand Gahmari on February 3, 2014 at 1:58pm

 उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय गुरूवर गिरिराज भंडारी जी

Comment by Akhand Gahmari on February 3, 2014 at 1:57pm

 उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीया मीना पाठक जी

Comment by Akhand Gahmari on February 3, 2014 at 1:57pm

 उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय लक्षमण जी

Comment by Akhand Gahmari on February 3, 2014 at 1:56pm

 उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय जितेन्‍द्र गीत जी

Comment by Akhand Gahmari on February 3, 2014 at 1:56pm

 उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय ब्रजेश नीरज जी

Comment by बृजेश नीरज on February 2, 2014 at 10:09pm

सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 2, 2014 at 9:31am

इस जमाने में हमे तुमकेा बुलाना भी नहीं हैं

तड़पते ही रहे मगर जख्‍म दिखाना भी नहीं है.............वाह! शानदार मतला

दर्द ही हमको मिला जो दिल लगाया था किसी से

जख्‍म जो दिल पर लगे  उन्‍हे दिखाना भी नहीं है...........बहुत सुंदर

बहुत बढ़िया गजल आदरणीय अखंड जी, हार्दिक बधाई आपको

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2014 at 7:35am

आदरणीय अख्ंड भाई , एक अच्छी ग़ज़ल के लिए  आपको दिल से बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2014 at 6:37pm

आदरणीय अख्ंड भाई , ग़ज़ल का बहुत सुन्दर प्रयास किया है , आपको दिल से बधाइयाँ ॥ कुछ मिसरे बे बह्र हो रहे हैं , फिर से देख लीजियेगा ॥

                 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
18 seconds ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service