For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब जब तुम्हे सोचती हूँ

जब जब तुम्हें सोचती हूँ
मेरे ख्वाब खिल उठते हैं
सोचती हूँ रंग बिरंगी दुनिया
अपना सजीव होना|

जब जब तुमसे मिलती हूँ
बागों में फूलों का
बेमौसम खिलना होता है
पक्षी चहचहाने लगते हैं
नदिया में सागर में
जीवन बहने लगता है
तब सब से मिलती हूँ
उल्लास से|

जब जब तुमसे मिलती हूँ
जिन्दगी छलकती है
मेरी आँखों से
मेरे हाथ महकते हैं
मेंहदी के रंग से
तब मिलती हूँ जिन्दगी से
तब मैं मिलती हूँ
अपने आप से

जब नहीं सोचती तुम्हे
आइना धुंधला हो जाता है
नदियों में जीवन
रुक जाता है
ऊपर आसमान में उड़ते पतंग
गले मिलने को
बेताब नज़र आते हैं
पूरी दुनिया ठहर जाती है


और ठहर जाती हूँ मैं ....
............................

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on February 2, 2014 at 10:09pm

भावपूर्ण सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

सादर!

Comment by Sarita Bhatia on February 2, 2014 at 11:13am

जितेन्द्र भाई जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on February 2, 2014 at 11:13am

लक्ष्मण भाई शुक्रिया स्नेह बना रहा 

Comment by Sarita Bhatia on February 2, 2014 at 11:12am

शुक्रिया वंदना जी 

Comment by Sarita Bhatia on February 2, 2014 at 11:11am

आदरणीय अन्नपूर्णा जी आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 2, 2014 at 11:11am

आदरणीय मीना पाठक जी शुक्रिया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 2, 2014 at 9:26am

दिल की कोमल भावनाओं को बहुत सुंदर शब्द मिले, बधाई आदरणीया सरिता जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2014 at 7:40am

आदरणीय सरिता बहन , एक बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति दिल के कोमल जज्बात में गुँथी रचना के लिए बहुत- बहुत बधाई

Comment by vandana on February 1, 2014 at 9:49pm

भावपूर्ण सुन्दर रचना आदरणीया 

Comment by annapurna bajpai on February 1, 2014 at 7:52pm

bahutबहुत बधाई आपको आ0 सरिता जी इस सुंदर रचना के लिए । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service