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दिल बड़ी अजीब शय है


खुश हो तो
बहकता है
चहकता है
महकता है
उछलता है
मचलता है


टूटता है तो


हो जाता बेदर्द
देता इंतहा दर्द
कर देता सर्द
खो जाता चैन
कर देता बेचैन
हर दिन हर रैन
.......................

मौलिक व् अप्रकाशित 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2014 at 8:50pm

सही बात !

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 1, 2014 at 4:16pm

आदरणीया, आपने दिलकी सहज स्वभाव की सहज अभिव्यक्ति प्रस्तुत की हैं । इस सु्ंदर प्रस्तुती पर बहुत बहुत बधाई

Comment by annapurna bajpai on January 31, 2014 at 9:25pm

आ0 सरिता जी बौट सुंदर रचना , बधाई आपको । 

Comment by coontee mukerji on January 31, 2014 at 8:56pm

क्या बात है सरिता जी......लाजवाब .......हार्दिक बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 31, 2014 at 8:37pm

दिल हिंडोले सा खुशियों और गम के दो ध्रुवों के बीच झूलता.....अजीब शय ही है.

शुभकामनाएं 

Comment by Sarita Bhatia on January 31, 2014 at 4:01pm

शुक्रिया आदरणीय पवन जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 31, 2014 at 4:00pm

शुक्रिया जितेन्द्र भाई 

Comment by pawan amba on January 31, 2014 at 1:22pm

शब्दों कि सरलता और  बहाव बहुत सुन्दर है। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 31, 2014 at 10:40am

सुख और दुःख में दिल की स्थिति को बहुत सुंदर व् सरलता से बयां करती रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

Comment by Sarita Bhatia on January 31, 2014 at 10:20am

आदरणीया वंदना जी हार्दिक आभार 

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