For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दरवाज़ा तो मैंने ही खुला छोड़ा था 

कि तुम भीतर आओगे
और बंद कर दोगे /
मगर
खुले दरवाज़े से आते रहे
सर्द हवाओं के झोंके
और ठिठुरता रहा मैं /
चेतनाशून्य होने ही वाला था कि
किसी ने
भीतर आ के
दरवाज़ा बंद कर लिया /
अधमुंदी आँखों से मैंने देखा
वो तुम नहीं थे /
मगर वो गर्मी कितनी सुखद थी /
और फिर
ना जाने कैसे
कब से
पेड़ कि फुनगी पर
बैठा चाँद
चुपके से उतर कर
मेरी आँखों में समा गया /
और रात बीत गई ।

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित
अरविन्द भटनागर 'शेखर'

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2014 at 4:39am

इस रुमानी बयान में रचनाकार ने ’वो तुम नहीं थे..’ कह कर मानों रहस्य भी पिरोया है ..

मुलायम अनुभूति की प्रस्तुति-श्रेणियों के लिए हार्दिक धन्यवाद,भाईजी.

शुभेच्छाएँ

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 1, 2014 at 4:25pm

सुंदर अभिव्यक्ति

 बधाई बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 1, 2014 at 10:40am

कोमल भावों से संजोयी रचना, हार्दिक बधाई आदरणीय अरविन्द जी

Comment by ARVIND BHATNAGAR on February 1, 2014 at 8:19am

आदरणीय डॉ o प्राची  जी, कविता की  सराहना के लिए बहुत बहुत  धन्यवाद् । मेरा प्रयास सार्थक हुआ । 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on February 1, 2014 at 8:17am

आदरणीय मीना   जी, Coontee Mukerji  जी, कविता की  सराहना के लिए बहुत बहुत  धन्यवाद् 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on February 1, 2014 at 8:14am

आदरणीय नादिर  जी, पवन अम्बा  जी, कविता की  सराहना के लिए धन्यवाद् 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on February 1, 2014 at 8:12am

आदरणीय ब्रजेश नीरज जी, वंदना जी, सराहना के लिए धन्यवाद् 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 31, 2014 at 9:14pm

कोमल मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति 

शुभकामनाएं 

Comment by coontee mukerji on January 31, 2014 at 8:48pm


पेड़ कि फुनगी पर
बैठा चाँद
चुपके से उतर कर
मेरी आँखों में समा गया /
और रात बीत गई ।........अति सुंदर....हार्दिक  बधाई.

Comment by Meena Pathak on January 31, 2014 at 3:51pm
बहुत सुन्दर रचना ...बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service