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फिर हुई जीने की इच्छा आज मन में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122       2122       2122  

फिर हुई जीने की इच्छा आज मन में

फिर बुलाया आज  कोई  है सपन में

फड़फड़ाने फिर लगा कोई परों को

फिर उड़ेगा वो किसी नीले गगन में

फिर से पीड़ा मीठी सी कुछ हो रही है

शीत भी मिलने लगी है अब जलन में

कोपलें फिर फूटती सी दिख रहीं हैं

क्या बहारें आ रहीं हैं फिर चमन में  ?   

बाल सुलझे छू , हवायें आ रहीं हैं

फिर महक सी आ रही है अब पवन में

फिर हृदय में हूक है , कोई चुभन है

फिर मज़ा आने लगा है इस चुभन में

फिर से आँखें टिक गई है शून्य मे अब

कुछ नये सपने बसा के फिर नयन में

फिर से तेरी सोच मे डूबा हुआ हूँ

तू ही तू छाया मेरे चिंतन-मनन में 

फिर मुझे समझा रहे हैं मित्र मेरे ,

हाथ जल जाये न फिर ऐसे हवन में

*********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 30, 2014 at 3:37pm

आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल को आपका अनुमोदन से हार्दिक प्रसन्नता हुई , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 11:56am

वाह .. :-))) 

आखिरी दो शेरों ने तो कमाल कर दिया है.

बधाई-बधाई-बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 23, 2014 at 9:39pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 23, 2014 at 9:35pm

फिर हृदय में हूक है , कोई चुभन है

फिर मज़ा आने लगा है इस चुभन में.............वाह! बहुत सुंदर

खुबसूरत गजल, बधाई आदरणीय गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 23, 2014 at 2:30pm

आदरनेय वन्दना जी , आपका बहुत बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 23, 2014 at 2:29pm

आदरणीया वन्दना तिवारी जी , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥

Comment by vandana on January 23, 2014 at 7:12am

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय 

Comment by Vindu Babu on January 23, 2014 at 4:37am

आदरणीय गिरिराज जी कोमल भावों से सजी आपकी  गजल अच्छी लगी।

सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2014 at 9:20pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपक तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 8:06pm

वाह एक नये मिजाज़ की ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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