For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (अजय अज्ञात)

करें हम हमेशा ही उनकी इबादत 
ये जीवन हमारा है जिनकी बदौलत... 


नहीं कोई सानी है माता पिता का
यकीनन ये करते हैं दिल से मुहब्बत... 


चरण छू लो इनके, मिलेंगी दुआएं 
इन्हें देखने भर से होती जियारत ... 


सही मायने में यही देवता हैं 
यही पूरी करते हमारी ज़रूरत ...


हमेशा कलेजे से रखते लगाए
बलाओं से करते हमारी हिफाज़त ...


ये उंगली पकड़ हम को चलना सिखाते
पिलाते हैं घुट्टी में हम को सदाकत .... 


न माता पिता का कभी दिल दुखाना 
इन्हीं की दुआओं से हम हैं सलामत ....


यहीं लुत्फ मिलता है जीवन का यारो 
कि अज्ञात कदमों में इनके है जन्नत ...

.

मौलिक व अप्रकाशित ...

Views: 859

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Agyat on April 9, 2014 at 7:29pm

सभी मित्रों का हृदय से आभार ... 

Comment by वीनस केसरी on January 20, 2014 at 3:40am

इस मुसल्सल ग़ज़ल के लिए ढेरो मुबारकबाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 11:22pm

अच्छी मुसलसल ग़ज़ल के लिए बधाई अजय अज्ञात भाईजी.

आदरणीय, आप तो एक दम से छुपे रुस्तम ही हो गये हैं, हलद्वानी कार्यक्रम के बाद से .. .

सादर

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:41pm

सुंदर  ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय बधाई स्वीकारें.

Comment by MAHIMA SHREE on January 13, 2014 at 10:08pm

बहुत ही खुबसूरत गजल ..बधाई आपको सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 13, 2014 at 1:05pm

आदरणीय ..जीवन नीति को दर्शाते शानदार अशार ..बेहतरीन रचना के लिए तहे दिल बधाई ..सादर न माता पिता का कभी दिल दुखाना 
इन्हीं की दुआओं से हम हैं सलामत ....

सही मायने में यही देवता हैं 
यही पूरी करते हमारी ज़रूरत ...

 ये शेर मुझे बेहद पसंद आये 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 13, 2014 at 11:03am

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on January 12, 2014 at 10:55pm

बहुत अच्छी संदेशपरक रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Abhinav Arun on January 11, 2014 at 2:57pm

हर शेर सीख दे रहा है  आदरणीय अजय जी। .बहुत खूब !!

Comment by ajay sharma on January 10, 2014 at 10:55pm

isi mauzu  ke apne do sher yaad aa rahe hain .......

उनकी याद भी आये , तो आये कैसे
घरों में कोई चीज़ें पुरानी हैं कहाँ अब

घरों में वो दादी , नानी ,  हैं कहाँ अब
सपनों में वो राजा रानी हैं कहाँ अब.

teek kaha apne , 

न माता पिता का कभी दिल दुखाना 
इन्हीं की दुआओं से हम हैं सलामत ....

ishwar sabhi ko ye samjh de ..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service