For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिवस हो चले कोमल-कोमल (नवगीत)-कल्पना रामानी

सर्द हवा ने बिस्तर बाँधा,

दिवस हो चले कोमल-कोमल।

 

सूरज ने कुहरे को निगला।

ताप बढ़ा, कुछ पारा उछला।

हिमगिरि पिघले, सागर सँभले,

निरख नदी, बढ़ चली चंचला।

 

खुली धूप से खिलीं वादियाँ,

लगे झूमने निर्झर कल-कल।

नगमें सुना रही फुलवारी
गूँज उठी भोली किलकारी
खिलती कलियाँ देख-देखकर
भँवरों पर छा गई खुमारी।

 

देख तितलियाँ, उड़ती चिड़ियाँ,

मुस्कानों से महक रहे पल।

 

अमराई जो कल तक पल-छिन

काट रही थी बनकर जोगन,

मौसम के इस नए रूप से।

आतुर है बनने को दुल्हन।

 

मन-आँगन में नृत्य कर रहे,

मोर, पपीहे, कोयल, बुलबुल।    

मौलिक व अप्रकाशित

---कल्पना रामानी 

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on January 15, 2014 at 3:01pm

आदरणीय सौरभ जी, अब क्या कहूँ! यहाँ का मौसम ही ऐसा है तो भाव भी वैसे ही जन्म लेंगे ना। फिर भी गीत पढ़ ल्या तो कुछ कोमलता का अहसास हुआ ही होगा।

सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 15, 2014 at 2:59pm

सादर धन्यवाद राम शिरोमणि जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 11:27pm

एक डेढ़ महीने पहले की रचना है ये आदरणीया. फिलहाल तो कुल्फ़ी ही जम रही है अपनी. :-)))

बधाई हो..

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:47pm

 आदरणीया कल्पना रमानी जी,बहुत ही प्यारा नवगीत //। हार्दिक बधाई आपको 

Comment by कल्पना रामानी on January 13, 2014 at 6:14pm

सादर धन्यवाद आदरणीय आशुतोष जी

Comment by कल्पना रामानी on January 13, 2014 at 6:14pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अरुण अनंत जी  

Comment by कल्पना रामानी on January 13, 2014 at 6:12pm

 

प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अजय शर्मा जी

Comment by कल्पना रामानी on January 13, 2014 at 6:08pm

 

आदरणीय,योगराज जी , आपकी प्रशंसात्मक टिप्पणी से अभिभूत हूँ। हृदय से धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on January 13, 2014 at 6:05pm

रचना को आपका स्नेह और सम्मान मिला, हार्दिक प्रसन्नता हुई। सादर धन्यवाद आपका आदरणीय

अजय अज्ञात जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 13, 2014 at 1:13pm

खिलती कलियाँ देख-देखकर 
भँवरों पर छा गई खुमारी।

सूरज ने कुहरे को निगला।

ताप बढ़ा, कुछ पारा उछला।..बहतरीन नव गीत ..कल पढ़ा था लेकिन दिल को छो लेने वाले इस गीत के निमंत्रण पुनः आपके ब्लॉग तक ले आया ...पुनः बधाई के साथ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service