For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया : मैं-तुम-हम // --सौरभ

'मैं-तुम’ के शुभ योग से, 'हम’ का आविर्भाव
यही व्यष्टि विस्तार है, यही व्यष्टि अनुभाव
यही व्यष्टि अनुभाव, ’अपर-पर’ का संचेतक    
’अस्मि ब्रह्म’ उद्घोष, ’अहं’ का धुर उत्प्रेरक
’ध्यान-धारणा’  योग, सतत संतुष्ट रखे ’मैं’
’प्रेय’  क्षुद्र   व्यामोह, ’श्रेय’ निर्वाह  करे ’मैं’

’तुम’ ऊर्जा, ’तुम’ प्राणवत, ’तुम’ ’मैं’ का विस्तार
गहन  भाव  संतृप्त  यह,  मानवता  का सार
मानवता  का  सार, सदा जग ’तुम’ से सधता
’मैं’ कारक का सूच्य, जगत तो ’तुम’ से चलता
बहु-धारक  का  भाव, जिये  ज्यों  खगधारी द्रुम
संज्ञाएँ   प्रच्छन्न,   धारता   हर संभव  ’तुम’

’हम’  अद्भुत  अवधारणा, ’हम’  अद्भुत  संज्ञान
यह  समष्टि  के मूल का  अति उन्नत विज्ञान
अति उन्नत विज्ञान, व्यक्तिवाचक का व्यापन
उच्च  भाव  संपिण्ड, ’अहं’  का  भाव  समापन
उच्च  मनस  का  हेतु, ’भाव-कर्ता’  पर  संयम
स्वार्थ तिरोहित सान्द्र, तभी हो ’मैं-तुम’ का ’हम’

*******


--सौरभ

(मौलिक और अप्रकशित)

Views: 817

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2014 at 11:13pm

धन्यवाद भाई रामशिरोमणीजी...

Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 9:54am

इन अनुपम कुंडलियों के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय। .... सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 3:54pm

इन छंदों के कथ्य को स्वीकारने के लिए समस्त सुधी पाठकों को मेरा आभार..

सादर

Comment by S. C. Brahmachari on January 9, 2014 at 8:59pm

अद्वैत से आरंभ हो कर विभिन्न कोशों से गुजरने का एहसास कराती है आपकी रचनाएँ ! प्रशंसा सूरज को दीप दिखाना होगा फिर भी बधाई स्वीकारें !  मैं एक बार फिर गुरुकुल के वातावरण मे डूबने उतराने लगा ............. 

Comment by Meena Pathak on January 9, 2014 at 12:45pm

’हम’  अद्भुत  अवधारणा, ’हम’  अद्भुत  संज्ञान
यह  समष्टि  के मूल का  अति उन्नत विज्ञान
अति उन्नत विज्ञान, व्यक्तिवाचक का व्यापन
उच्च  भाव  संपिण्ड, ’अहं’  का  भाव  समापन
उच्च  मनस  का  हेतु, ’भाव-कर्ता’  पर  संयम 
स्वार्थ तिरोहित सान्द्र, तभी हो ’मैं-तुम’ का ’हम’...........नमन आप की लेखनी को 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 11:49am

आदरणीय श्री सौरभ सर वाह "मैं, तुम, हम" विषय पर केन्द्रित तीनो ही कुण्डलिया हृदयस्पर्शी हैं, जिस सुन्दरता से आपने मैं, तुम और हम को परिभाषित किया है वह देखते ही बनता है. दिल खुश हो गया पढ़कर कुछ अधिक कहना संभव नहीं. हृदयतल से भूरि भूरि बधाई स्वीकारें.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 8, 2014 at 10:27pm

वाह, बढ़िया कुण्डलियाँ आदरणीय सौरभ जी |

Comment by Saarthi Baidyanath on January 8, 2014 at 10:13pm

'मैं-तुम’ के शुभ योग से, 'हम’ का आविर्भाव
यही व्यष्टि विस्तार है, यही व्यष्टि अनुभाव
यही व्यष्टि अनुभाव, ’अपर-पर’ का संचेतक    
’अस्मि ब्रह्म’ उद्घोष, ’अहं’ का धुर उत्प्रेरक 
’ध्यान-धारणा’  योग, सतत संतुष्ट रखे ’मैं’
’प्रेय’  क्षुद्र   व्यामोह, ’श्रेय’ निर्वाह  करे ’मैं’....अति सुन्दर ! क्या कुंडलियां हैं ...शब्दों का आपकी सामंजस्य,गुंथन व मिलाप ...हिंदी भाषा के प्रति आपकी चाव तथा आपकी समर्थता का बखान कर रही है ...बहुत सुन्दर ! आनंद आ गया पढ़कर :)

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 8, 2014 at 6:47pm

तीनों ही उत्तम कुंडलिया छंद रचना- ""मै, तुम और हम" के आविर्भाव को समझाती, विश्लेषण करती और ज्ञान वर्धक कुंडलिया छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई और शिक्षा प्रद ज्ञान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री सौरभ भाई जी | सादर 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 8, 2014 at 3:48pm

वाह वाह वाह,,,आदरणीय,,,क्या भाषा,,,क्या शिल्प,,,क्या भाव उत्कर्ष,,,,,दिल खुश हो गया,आपको दिल से बधाइयां और,,नमन ऎसी लेखनी को,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर आ रे, सूरज आजमा, किसमें कितना जोर     मूरख…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी कोशिशों पर तो हम मुग्ध हैं, शिज्जू भाई ! आप नाहक ही छंदों से दूर रहा करते हैं.  किसको…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा आधारित एक रचना: प्यास बुझाएँगे सदा सूरज दादा तुम तपो, चाहे जितना घोर, तुम चाहो तो तोड़ दो,…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, सदा की भाँति इस बार भी आपकी रचना गहन भाव और तार्किक कथ्य लिए हुए प्रस्तुत…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रदत्त चित्र को सार्थक दोहावली से आयोजन का शुभारम्भ हुआ है.  तन…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पैसा है तो पीजिए, वरना रहो अधीर||...........वाह ! वाह ! लाख टके की बात कह दी है आपने.…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय शिज्जु शकूर जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. सच है यदि धूप न हो…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! भाई लक्ष्मण धामी जी आप जो कह रहे हैं मन के मार्फ़त या दिल के मार्फ़त उस बात को मैं समझ…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service