For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपनी आँखों को जब मैं
बंद करने कि कोशिश करता हूँ
सोने के लिए
तभी तरह-तरह के विचार आते हैं
मानो जैसे अब
मेरे रास्ते बंद हो गए हैं
मैं कायर सा
डरपोक सा
बैठ गया हूँ


तभी कुछ सुनायी पड़ता है
आवाज
किसी की 
कहीं से आ रही है
कुछ कहने कि
समझने कि
कोशिश


इतना डरपोक न बन

हिम्मत कर
तू फिर से
मेहनत करके
एक नया नाम, इज़ज़त, शोहरत
कमा सकता है

इतना सोचते-सोचते
पता नहीं कब
आँख लग जाती है

फिर एक नया सवेरा
एक नयी किरण
उम्मीद लेकर
फिर चली आती है.

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 30, 2013 at 10:49pm

सुन्दर आशावादी रचना

अपने आप से ही वार्तालाप ... डर और डर पर जीत का क्रम.... उम्मीद की किरण 

बहुत सुन्दर 

हार्दिक बधाई स्वीकारिये आ० सौरभ जी 

Comment by Sonam Saini on December 30, 2013 at 12:42pm

वाह क्या बात है, भावनात्मक अभिव्यकि....सुंदर रचना

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 27, 2013 at 11:45pm

सुंदर सकारात्मक रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 10:54pm

स्वनामधन्य ! वाह !!

आपकी किसी पहली रचना से गुजर रहा हूँ .. पहली रचना ही आशान्वित कर रही है.

हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2013 at 8:10pm

आदरणीय सौरभ भाई , बहुत सुन्दर प्रस्तुति लगी , आशाओं - निराशाओं के बीच मन सदा झूलते ही रहता है ॥ बधाई ॥

Comment by MAHIMA SHREE on December 27, 2013 at 7:36pm

मन में उठते विचारो को आपने अच्छी सकरात्मक अभिव्यक्ति दी ..बधाई आपको

Comment by Shyam Narain Verma on December 27, 2013 at 4:51pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 27, 2013 at 3:01pm

सौरभ जी , आपके भावो में एक तारतम्य है , तारतम्य तब आता है,  जब सोच बिखरी न हो i बहुत सुन्दर i बधाई हो i

Comment by coontee mukerji on December 27, 2013 at 2:41am

बहुत सुन्दर प्रयास है सौरभ जी.....प्रयास का सफ़र ज़ारी रहे.सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
5 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service