साम्प्रदायिक भावना व राष्ट्रीय एकता
बड़े गर्व की बात है
एकता दिवस मनाया जाता है
राष्ट्रीय एकता की भावना को
जन-जन तक फैलाया जाता है
अक्सर हम सुना करते हैं
एक ही वचन कहा करते हैं
हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई
आपस में हैं भाई-भाई
गर ऐसी बात है
फिर क्यों होती है लड़ाई
जाकर उस पक्षी से सीखो
जो कभी मंदिर, तो कभी मस्जिद पर
बिना फर्क किये चहचहाई
रहते हैं हम इक जहाँ में
हैं बेटे एक ही माँ (देश) के
फिर क्यों आपस में
सौतेला व्यवहार करते हैं
स्वार्थ के लिए
अपनी ही माँ का
बंटवारा करते हैं
अब भी वक़्त है संभल जाओ
देश को विदेशी नज़रों से बचाओ
यह मातृभूमि उन शहीदों की दें है
इसे मत बेच खाओ
अंत में यही कहना चाहूँगा :
"चाहे जो तुम्हारा धर्म हो
चाहे तुम जो वासी हो
जी नहीं रहे अगर देश हित
निश्चय ही अपराधी हो "
मौलिक व अप्रकाशित
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"चाहे जो तुम्हारा धर्म हो
चाहे तुम जो वासी हो
जी नहीं रहे अगर देश हित
निश्चय ही अपराधी हो "
शत प्रतिशत सही बात कही आपने!
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