For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शीत मलयज लिए, बदरी मैं नीर भरी

(विजया घनाक्षरी) ८,८,८,८ पर प्रत्येक चरण में यति अंत में लघु गुरू या नगण

.

१)

शीत मलयज लिए,  बदरी मैं नीर भरी

भरती मैं रूप नए , धरती सी धीर  धरी

यत्त पंख चाक हुए , उड़ने से नहीं डरी

गरल के घूँट पिए , पीकर मैं नहीं  मरी

अगन संताप दिए, प्रत्यक्ष तस्वीर खरी

 बहु किरदार जिए , जगत की पीर  हरी

 परहित भाव लिए, संकल्प से नहीं टरी                                 

पुष्प गुँफ झर गए, डार कभी नहीं झरी  

(२)

जितनी भी बार कटा ,मेरा कद और बढ़ा

जब-जब घिरी घटा ,हिना रंग खूब  चढ़ा

मृत्ति पिंड कुटा पिटा ,पात्र मजबूत गढ़ा

जितना आकार छटा, कवच गंभीर मढ़ा

उष्मा पर रहा डटा, क्षीर उतना ही कढ़ा

कंटक से  पाँव अटा ,निडर आगे ही बढ़ा

गिरी का दमन रटा , शीर्ष पर ताज नढ़ा

 कुदरत प्रष्ठ फटा ,पाठ उससे भी पढ़ा

**************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 809

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 11:40am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ,छंद आपको प्रभावित किये मेरा लिखना सार्थक हुआ आपकी बधाइयां दिल से स्वीकार बहुत बहुत आभार आपका सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 11:38am

लक्ष्मण धामी जी आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 11:38am

आदरणीया कल्पना जी आपको छंद पसंद आये पढ़कर उत्साह वर्धन हुआ सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 20, 2013 at 11:07am
आदरणीया राजेश कुमारी जी , दोनो छंद लाजवाब लगे , पढ़ के आनन्द आया । शिल्प का ज्ञान नही है । रचना के लिये आपको अनेकों बधाइयाँ ॥
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2013 at 7:26am

जितनी भी बार कटा ,मेरा कद और बढ़ा

बहुत खूब

Comment by कल्पना रामानी on December 19, 2013 at 10:03pm

बहुत अच्छे लगे आपके दोनों छंद आदरणीय राजेश कुमारी जी, हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 19, 2013 at 5:18pm

आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी आपको घनाक्षरी अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 19, 2013 at 5:17pm

आदरणीया मीना पाठक जी आपको घनाक्षरी पसंद आई ,इस उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 19, 2013 at 2:33pm

सुंदर भावपूर्ण घनाक्षरी की बधाई आ. राजेशकुमारीजी, प्रथम  घनाक्षरी  की विशेष बधाई । 

Comment by Meena Pathak on December 19, 2013 at 2:04pm

आदरनीय राजेश जी बहुत सुन्दर , आनंद आया पढ़ कर | शिल्प के बारे में तो गुनिजन ही जाने, मेरे मन को  बहुत भाया 
सादर बधाई आप को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service