For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो पल की है ज़िन्दगी,हँस के जी लो यार !

कटुता को अब भूलकर ,बाटो थोड़ा प्यार!!

देने से मिलता सदा,खुद को भी सम्मान !
इस निवेश की गूढ़गति ,ध्यान रखें श्रीमान !!

रोम रोम पुलकित हुआ ,कितना कोमल वार !
अधरों पर मुसकान है ,तिरछे नैन कटार!!

मधुर कंठ की स्वामिनी,कोमल मृदु बर्ताव !
कष्टों पर औषधि सदृश ,भर जाती है घाव !!

घर घर में दिखते मुझे,दुस्शासन लंकेश !
फिर कैसे बँधते भला,द्रुपद सुता के केश!!

गिरते पत्ते कह रहे,छोटी सी यह बात!
सब मिट्टी का है बना,उसमें मिलना तात!!
*********************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 911

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on December 20, 2013 at 1:42am

दोहा दर दोहा अनुमोदन व्  अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी,सुधारने का प्रयास करता हूँ   ............  सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 5:31pm

दो पल की है ज़िन्दगी,हँस के जी लो यार !
कटुता को अब भूलकर ,बाटो थोड़ा प्यार!!..........  बाटो या बाँटो ? वैसे संदेश सार्थक है.  

देने से मिलता सदा, खुद को भी सम्मान !
इस निवेश की गूढ़गति ,ध्यान रखें श्रीमान !!.. ...वाह ! संयत शब्दावलि और सुगढ़ प्रयास हुआ है.

रोम रोम पुलकित हुआ ,कितना कोमल वार !
अधरों पर मुसकान है ,तिरछे नैन कटार!!......... :-)))))

मधुर कंठ की स्वामिनी,कोमल मृदु बर्ताव !
कष्टों पर औषधि सदृश ,भर जाती है घाव !!.... . क्या.. क्या भर जाती है ?
मृदु बर्ताव और मधुर कंठ की स्वामिनी कष्टों पर औषधि सदृश क्या भर जाती है ? घाव !

मुझे तो पल्ले यही पड़ा... लाहौलबिला कुव्वत !.... :-(((

घर घर में दिखते मुझे,दुस्शासन लंकेश !
फिर कैसे बँधते भला,द्रुपद सुता के केश!! .... . .. सर्वश्रेष्ठ दोहा छंद ! इस प्रस्तुति का ही नहीं, आपकी कई-कई प्रस्तुतियों के माध्यम से आये दोहों में यह दोहा उत्तम है. बधाई भाई..


आदरणीय अजीत आकाशजी ने दुस्शासन की अक्षरी की तरफ़ इशारा किया है. इसे तुरत दुरुस्त कर लें.

गिरते पत्ते कह रहे,छोटी सी यह बात!
सब मिट्टी का है बना,उसमें मिलना तात!!.... . . ..इस दोहे पर तो मेरा भी दोहा कहना बनता है भाई.. :-)))
रखने को तो रख रहे, राम शिरोमणि तथ्य
लेकिन दोहे का ’वचन’, हज़म करे न कुपथ्य .. . हा हा हा हा.....  :-)))))
यानि साहेब, सब मिट्टी का है बना ?  या, सब मिट्टी के हैं बने ???

आप द्वारा हो रहा सतत प्रयास आश्वस्त कर रहा है, भाई.
बधाई और शुभकामनाएँ

Comment by ram shiromani pathak on December 14, 2013 at 8:34pm

सुझाव व प्रशंसा हेतु  हार्दिक आभार आदरणीय अजीत  जी   ....  सादर 

Comment by ram shiromani pathak on December 14, 2013 at 8:32pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी   ....  सादर 

Comment by अजीत शर्मा 'आकाश' on December 14, 2013 at 8:09pm

बहुत शानदार खिचड़ी रही. भाई ऐसे शानदार दोहे कहने के लिए बहुत-बहुत बधाई...... खिचड़ी नहीं, ये बहुत टेस्टी 'तहरी' है..... वाह  !!!

कृपया ‘ दुस्शासन ‘ की  स्पेलिंग शुद्ध कर लें ... बहुत- बहुत बधाई भाई राम शिरोमणि जी !!!

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 11:53pm

दोहे अच्छे लगे।बधाई।

Comment by ram shiromani pathak on December 13, 2013 at 10:42pm

 बहुत आभार आदरणीया महिमा जी    …………   सादर  

Comment by MAHIMA SHREE on December 13, 2013 at 10:18pm

देने से मिलता सदा,खुद को भी सम्मान !
इस निवेश की गूढ़गति ,ध्यान रखें श्रीमान... बहुत ही सुंदर , लाजवाब हार्दिक बधाई राम भाई

Comment by ram shiromani pathak on December 12, 2013 at 11:17pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा  जी। ........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on December 12, 2013 at 11:16pm

उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत आभार भाई जीतेन्द्र जी। ........   सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service