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चीख -- (लघुकथा)

हॉस्पिटल से आने के बाद दिया ने आज माँ से आईना माँगा | माँ आँखों में आँसू भर कर बोली “ना देख बेटा आईना, देख न सकेगी तू |” पर दिया की जिद के आगे उसकी एक न चली और उसने आईना ला कर धड़कते दिल से दिया के हाथ में थमा दिया और खुद उसके पास बैठ गई | दिया ने भी धड़कते दिल से आईना अपने चेहरे के सामने किया और एक तेज चीख पूरे घर में गूँज गई, माँ की गोद में चेहरा छुपा कर फूट-फूट कर रो पड़ी दिया | माँ ने अपने आँसू पोंछे और उसके सिर पर स्नेह से हाथ फेरते हुए बोली कि “मैंने तो पहले ही तुझसे बोला था कि मत देख आईना पर तू ही नही मानी |” माँ का कलेजा भी फटा जा रहा था अपनी बेटी की ये दशा देख कर |
कितनी खुश थी उस दिन दिया जब वो कोलेज की सबसे सुन्दर लड़की चुनी गई थी | तभी महेश से उसकी दोस्ती हुई | सब कुछ अच्छा चल रहा था बीएसी फाइनल में जब उसकी शादी तय हुई तब उसने ये खुशखबरी महेश को दी, वो एकदम आगबबूला हो गया “ये कैसे हो सकता है, प्यार मुझसे और शादी किसी और से ?” ये सुन कर दिया आवाक रह गई | दिया ने उसे बहुत समझाया कि वो दोनों एक अच्छे दोस्त के सिवा कुछ भी नही पर महेश अपनी जिद पर अड़ा रहा | उसने दिया को घमकी दी कि वो उसकी शादी किसी और से नही होने देगा | दिया ने उसकी बातों को कोई महत्व नही दिया और उससे मिलना-जुलना, बात करना सब बंद कर दिया | ठीक सगाई से एक दिन पहले जब वो पार्लर जा रही थी, उसके सामने से एक बाइक निकली और दिया के मुंह से हृदयविदारक चीख निकल गई थी |

मौलिक/अप्रकाशित 

मीना पाठक 

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Comment by Shubhranshu Pandey on December 9, 2013 at 7:14pm

आदरणीय मीना जी, आज के युवाओं के प्यार, चाहत और आपसी सम्बन्धों पर एक सुन्दर कथा...अभी आज कल के समाचार पत्र में इसी घटना से सम्बन्धित एक समाचार पढा....चाहत के विद्रुप होने को क्या कहा जाये????

सादर..

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 5:24pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय आशुतोष जी 

सादर 

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 5:23pm

उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार आदरणीय गिरिराज जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 4:55pm

आदरणीया मीना जी ..ह्रदय को द्रवित कर देने वाली लघु कथा ..आज के इस दौर में ये सब एक अजीब पागलपन की तरह उभर रहा है ..इस रचना के लिए तहे दिल बधाई ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 9, 2013 at 4:52pm

आदरणीया मीना जी , शिल्प के विषय मे गुणी जन बतायेंगे !!! मुझे वर्तमान तेज़ाब काण्ड पर ये लघु कथा बहुत अच्छी लगी !!!! आपको हार्दिक बधाई !!!!!

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