For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सन अड़तालीस की तीस जनवरी के दिन
नहीं मरे थे तुम
बापू


तुम एक गोली से

मर भी नहीं सकते थे

तुम्हारे जर्जर हो चुके शरीर को
सिर्फ भेद पाई थी
वह गोली

चंद सूखी लकड़ियों से भी

नहीं जल सकते थे तुम
बापू

 

तुम्हारी चिता जला पाई थी

सिर्फ तुम्हारे अचेत शरीर को

 तुम्हे कंधा देने

उमड़ पड़ा था पूरा देश

आज भी बदस्तूर जारी है

तुम्हें कंधा देना

बापू

 

आज भी हर घर में

मौजूद हैं आप
दावारों पर टंगे हुए

तिजोरियों में रखे हुए

किताबों में लिखे हुए

बापू

 

हर क्षण हो रही है
तुम्हारी हत्या

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

तुम बस घूर के देख सकते हो
तुम्हारे हत्यारों की

बुलेट प्रूफ गाड़ियों को

गांधी स्क्वायर से गुजरते हुए

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 540

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by hemant sharma on February 11, 2014 at 11:52pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपको मेरी कविता पसन्द आई मेरा प्रयाश सार्थक हुआ मैं ह्रदय से आभारी हुं. सादर...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 18, 2013 at 8:24pm

एक बहुत ही सशक्त विचार साझा हुआ है, भाईजी. 

बापू पर हुई इस कविता के लिए हृदय से बधाई स्वीकारिये.

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

इन पंक्तियों के लिए विशेष बधाई.. .

शुभेच्छाएँ

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 16, 2013 at 4:28pm

सुन्दर रचना...

हार्दिक बधाई स्वीकारे आ हेमंत जी...

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 9, 2013 at 9:54am

हर क्षण हो रही है
तुम्हारी हत्या

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

इन पंक्तियों में आज की कटु सत्यता है, आपकी लेखनी को नमन आदरणीय हेमंत जी

Comment by Saarthi Baidyanath on December 7, 2013 at 11:17pm

चंद सूखी लकड़ियों से भी

नहीं जल सकते थे तुम 
बापू....

क्या बात , क्या बात ! आपके जज्बात को नमन करता हूँ ! :)

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 10:52pm

हेमंत जी

आपके सुन्दर भावो की मै सराहना करता हूँ i

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 5:56pm

आदरणीय हेमंत भाई जी बापू को समर्पित बहुत ही सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on December 7, 2013 at 3:54pm

हर क्षण हो रही है
तुम्हारी हत्या

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

तुम बस घूर के देख सकते हो
तुम्हारे हत्यारों की

बुलेट प्रूफ गाड़ियों को

गांधी स्क्वायर से गुजरते हुए...............बहुत सटीक कहा आपने आदरणीय.शुभकामनाएँ

Comment by Meena Pathak on December 7, 2013 at 2:15pm

सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई आप को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service