For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

हमारे नाम का चर्चा हुआ होगा सितारों में।
ज़माना खोजता होगा हमें भी बेसहारों में॥
.
किसी ने हाथ छोड़ा तो बढ़ा के रुक गया कोई,
हमारी तंगहाली भी नज़ारा थी नज़ारों में।
.
छुपाते हैं जिसे दिल में उसे ही छीन लेता है,
न जाने कौन क़ातिल है हमारे राज़दारों में।
.
न मुड़ के देखती है फिर लहर जो लौट जाती है,
बड़ी गहरी उदासी है समंदर के किनारों में।
.
रिवाज़ों के,समाजों के अजब रंगीन किस्से हैं,
वही जिनसे अदावत थी जमा हैं सोगवारों में।
.
'रवी' अपनी ज़ुबानी ये कहानी क्या बयाँ होगी,
वही समझे,वही जाने लुटा हो जो बहारों में॥
.
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-04.12.2013

Views: 983

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on December 6, 2013 at 9:48pm

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ..............

छुपाते हैं जिसे दिल में उसे ही छीन लेता है,
न जाने कौन क़ातिल है हमारे राज़दारों में।

वाह, वाह, वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Comment by Ravi Prakash on December 6, 2013 at 9:30pm
Thanks Salim Raza ji.
Comment by SALIM RAZA REWA on December 6, 2013 at 9:21pm

ravi prakash ji achhi gazal hai matle ke lie mubark bad

Comment by Ravi Prakash on December 6, 2013 at 6:10pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद अरुन जी।
Comment by Ravi Prakash on December 6, 2013 at 6:09pm
आ॰ संदीप जी, धन्यवाद।
Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2013 at 3:05pm

आदरणीय रविप्रकाश भाई वाह बहुत खूबसूरत अशआर हुए हैं इस सुन्दर उम्दा ग़ज़ल के लिए दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 2:17pm

क्या बात है आदरणीय जोरदार ग़ज़ल कही है आपने दिली दाद हाजिर है

Comment by Ravi Prakash on December 6, 2013 at 1:48pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 6, 2013 at 7:43am

बहुत बढ़िया भाई रविप्रकाश जी बेहतरीन ग़ज़ल है दाद कुबूल फरमायें

Comment by coontee mukerji on December 6, 2013 at 1:01am

न मुड़ के देखती है फिर लहर जो लौट जाती है,
बड़ी गहरी उदासी है समंदर के किनारों में।...........क्या बात है.
.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
3 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
9 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
9 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
11 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service