- दोहावली -
संग हरि किये हरि हुये, दानव ,दानव संग
किंतु न मानव बन सके, कर मानव के संग
कह सुन खाली मन करें, बचे न कोई बात ।
मन को उजला कीजिये, जैसे उजली रात ।।
लघुता को गुरुता कहे,लघुता की रख प्यास ।
गुरुता फिर आये नहीं, मत करना तू आस ।।
ढाल जिधर है बह गये, ये मुर्दों का ढंग ।
जीवित पहले परख के, तब होवत है संग ।।
मन पंछी को बांध रख, डोरी एक बनाय ।
उछले कूदे खींच दे , वापस घर में आय ।।
मैं को सबसे जोड़ मत , अलग न जुड़ के होय ।
दुख की जड़ फैलाय जो, वो जीवन भर रोय ।।
तन का घाव दिखे मगर,दिखे न मन का पीर ।
बाहर से है ठीक सब , अन्दर से गम्भीर ।।
क्यों सहते बैठे रहें, पीठ करे जो घात ।
अब अंतिम परिणाम तक ,जारी हो प्रतिघात ।।
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..... |
मैं को सबसे जोड़ मत , अलग न जुड़ के होय ।
दुख की जड़ फैलाय जो, वो जीवन भर रोय ।।.............बहुत अच्छी बात कही.आपको हार्दिक बधाई.
सादर
कुंती.
सीख देती सुंदर दोहावली की बधाई छोटे भाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online