For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

***पेशानी पे मुहब्बत की यारो ……….***

पेशानी पे मुहब्बत की यारो ……….

लगता है शायद 
उसके घर की कोई खिड़की 
खुली रह गयी 
आज बादे सबा 
अपने साथ 
एक नमी का 
अहसास लेकर आयी है 
इसमें शब् का मिलन और 
सहर की जुदाई है 
इक तड़प है 
इक तन्हाई है 
ऐ खुदा 
तूने मुहब्बत भी 
क्या शै बनाई है 
मिलते हैं तो 
जहां की खबर नहीं रहती 
और होते हैं ज़ुदा 
तो खुद की खबर नहीं रहती 
छुपाते हैं सबसे 
पर कुछ छुप नहीं पाता 
लाख कोशिशों के बावज़ूद 
आँख में एक कतरा 
रुक नहीं पाता 
हिज्र की रातों में 
सितारों से बतियाते हैं 
खामोश लम्हों से 
बारहा उनके अक्स चुराते हैं 
अक्स 
जिनमें उसके आरिज़ों पर 
हया की अरुणाई है 
अक्स 
जिसमें उसके लबों पर 
प्यास थरथराई है 
अक्स 
जिसमें वो बे-हिज़ाब आई है 
आज उसकी याद ने 
मेरे दिल के निहाँख़ाने में
ली एक अंगड़ाई है 
पेशानी पे मुहब्बत की यारो 
इक लफ्ज़ लिखा तन्हाई है 
ये न उसको रास आई है 
न मुझको रास आई है

सुशील सरना

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 9, 2013 at 1:27pm

aadrneey Saurabh Pandey jee rachna par aapke snehaankit shabdon ka haardik aabhaar...aapke hr sujhaav mere liye kisee nageene se km naheen...aapke is sneh ka haardik aabhaar


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2013 at 11:37pm

आदरणीय सुशील सरनाजी, अभी थोड़ी देर पहले आपकी एक कविता पर अपने विचार रखे थे. अभी यह कविता... ! एकदम से अलग भावदशा को अभिव्यक्त करती हुई. समय विशेष में हृदय के भावों में भर आयी मुलामियत और फिर संभाव्य आह को आपने शब्दों में बाँधने की सुन्दर कशिश की है.

यह अवश्य है कि आपकी कविता का रचयिता संवाद स्थापित करने की कोशिश करता हुआ दीखता है. इस कारण अभिव्यक्ति में आयी नाटकीयता एक हद तक रोचक लगती है. लेकिन ऐसी मंचीय भंगिमाओं से तनिक सतर्क रहियेगा.

वैसे यह मेरी सोच भर है.

कविता के लिए हृदय से बधाई.

सादर

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 7:34pm

hardik aabhaar Aasheesh Yadav jee aapkee is madhur pratikriya ka

Comment by आशीष यादव on December 1, 2013 at 6:46pm
बेहतरीन रचना.
Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 4:42pm

Baidya Nath Saarthi jee rachna pr aapkee sneh barkha ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 4:41pm

Arun Sharma Anant jee rachna par aapkee aatmeey pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by Saarthi Baidyanath on December 1, 2013 at 1:40pm

हिज्र की रातों में 
सितारों से बतियाते हैं 
खामोश लम्हों से 
बारहा उनके अक्स चुराते हैं .......लाजवाब ...सुन्दर भावों से सजी एक बेहतरीन रचना ...

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 1, 2013 at 12:47pm

आदरणीय सुशील जी वाह मुहब्बत में छोटी छोटी बातों को कितनी सुन्दरता से पिरोया है आपने मुहब्बतमयी रचना के हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 12:38pm

aa.Sandeep Kumar Patel jee rachna par aapkee madhur prashansa ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 12:38pm

aa.Giriraj Bhandari jee rachna par aapkee madhur pratikriya ka haardik aabhaar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service