For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम मेरे आधार (दोहे) -लक्ष्मण लडीवाला

जन्मदिन पर सबसे विगत में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगते हुए "दोहे पुष्प" समर्पित है

अडसठ बसंत में मुझे,मिला सभी का प्यार,

गुरुवर अरु माँ-बाप का, वरदहस्त आधार |

 

सद्गुरु को मै दे सकूँ, ऐसी क्या सौगात, 

चरण पखारूँ अश्क से,इतनी ही औकात |

 

समर्पण निःशेष रहे, तुम मेरे आधार,

तुमसे तुमको मांग लू,करे अगर स्वीकार | 

 

जन्म दिवस पर दे रही,माँ मुझको आशीष 

सद्कर्मी पथ पर चलूँ, भला करे जगदीश | 

 

घर पर सब मिलजुल रहे, एक दूजे के संग 

घर पर यूँ खिलते रहे, प्रेम प्रीत के रंग |

 

मर्यादित जीवन रहे,रहे न चिंता युक्त 

अपना ये जीवन रहे, बुरे काम से मुक्त |

 

पत्नी मेरी जिन्दगी, बच्चे मेरा प्यार,

जुड़े रहे हर हाल में, इनसे मेरे तार |

 

सुधीजनों से मिल रहा, मुझको सचमुच प्यार

मुक्त ह्रदय से मानता,मै सबका आभार  |

 

प्रभु भक्ति में लीन रहूँ, मन पर रहे न  बोझ,

बनी रहे ओकात ये, करू  प्राथना  रोज  | 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 1751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2013 at 6:22pm

रचना पसंद करने एवं शुभ कामनाए व्यक्त करने हेतु आपका ह्रदय से आभार भाई श्री श्याम नारायण वर्मा जी 

Comment by Shyam Narain Verma on November 23, 2013 at 1:29pm

इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ......

न्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं । भगवान से प्रार्थना है कि वह आपको उतम स्वास्थ्य, दीर्घ आयु तथा सुख समृद्धि प्रदान करें....
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2013 at 9:53am

आपका हार्दिक आभार श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2013 at 9:46am

हार्दिक आभार आपका श्री अखलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 23, 2013 at 12:31am

जन्म् दिन और दोहे दोनों की बधाई लक्ष्मण भाई॥

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2013 at 5:40pm

आपकी शुभ कामनाए निश्चित ही मेरे जीवन में सार्थक करेगी | आपका तहेदिल से हार्दिक आभार प्रधान संपादक,
श्री योगराज प्रभाकर जी | शुब शुभ


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 22, 2013 at 10:37am

जन्मदिन की बधाइयों ढेरों शुभकामनायें स्वीकार करें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2013 at 9:49am

साहित्य पुरोधा और साहित्य प्रेमी ही ऐसे अवसर पर दुखी हो,सुझाव दे सकता है | छंद के शिल्प से समझौता मेरे अल्प ज्ञान को

ही दर्शाता है | आपका ध्यान आकर्षित करना उचित है, आदरणीय | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2013 at 9:32am

आप सभी के स्नेह के लिए हार्दिक आभारी हूँ आदरणीय श्री विजय निलोरे जी, श्री अरुण शर्मा "अनंत" जी,श्री गिरिराज भंडारी जी,

और विजय मिश्र जी | सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 22, 2013 at 12:34am

जन्मदिन की  बधाइयों के बाद एक निवेदन है आदरणीय, कि छंद के शिल्प से समझौता न करें जो कि आपसे अक्सर हो जाता है.

अडसठ बसंत गुजारे, पाकर सबका प्यार  जैसी पंक्तियाँ दुःखी कर देती हैं. तब तो और कि यह प्रस्तुति आपने अपने जन्मदिवस के उपलक्ष्य में साझा की है.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service