For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत रत्‍न, अखंड गहमरी

लाल लहू से अपने जिसने,देश की धरती कर दिया

नित्‍य नई खोजों में,जीवन के सुख छोड दिया

वेा भारत का  वीर सपूत,गुमनामी में खो गया

देश को दे कर नये आयाम वेा बेनाम हो गया

शिकार राजनीति का, भारत रत्‍न हो गया।

 

ध्‍यानचंद जैसा जादूगर, आज बेनाम हो गया

विदेशी धरती पर जो हुआ विजेता, कपिल गुम हो

खेलों के  कितने मसीहा का दीपक अब बुझ गया

रत्‍नो के रत्‍न  कितने,वो गुमनामी में खो गया

शिकार राजनीति का भारत रत्‍न होगया।

 

आजादी के जंग में सब कुछ उसका खो गया

जीने केा वेवसी में आज उनका बच्‍चा हो गया

कागज का चंद टुकडा भी दूर उससे हो गया

झिलमिल सितारो के बीच सपना उसका खो गया

शिकार राजनीति का  भारत रत्‍न हो गया।

 

सालों बाद मिला किसी को,किसी का जल्‍दी हो गया

जिसने सीचा लहू से भारत, वो दूर इससे हो गया

आधुनिकता के चकाचौध पर नसीब हो गया

सेवा नहीं सत्‍कार अब इसका मानक हो गया

शिकार राजनीति का भारत रत्‍न हो गया ।

 

संविधान के रक्षको ने इस का भी भक्षण कर लिया

देश सेवा पर पाने का इसको अब जमाना खो गया

सेवा से सरोकार नहीं जिसने चाहा रत्‍न हो गया

भारत रत्‍न की देश दुर्दशा बच्‍चा बच्‍चा बोल पडा

शिकार राजनीति का भारत रत्‍न हो गया । 

 

मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमरी की प्रस्‍तुति

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 20, 2013 at 4:32pm

//अपने दिल में आयी हर बात को हम जिस रूप में चाहे उस रूप में जनमानस के सामने रख सकते है//

अखंड जी आपके कहे से सहमत हूँ... पर जब अभिव्यक्ति सहज न लगे तो काव्य आरोपित ही लगता है ..जिससे रचनाकार को बचना चाहिए 

//अपनी प्रस्‍तुति पर आप से कहना चाहूँगा कि अपनी बात आप कह सकते हैं जिस रूप में चाहे उस रूप बस उसके पटल पर रखने के स्‍थान के बारे में निर्णय पटल संचालक या पटल प्रशासन को करना हेाता है//

आपकी रचना को इस रूप में इसीलिए स्वीकृति मिली है की उस पर सार्थक चर्चा हो सके और आप हम सभी लोग लाभान्वित हों..

इसे हम सकारात्मक सार्थक आयाम में ही समझें तो यह शायद सभी के लिए सम्वर्धन का कारण हो 

शुभकामनाएं 

Comment by Akhand Gahmari on November 20, 2013 at 4:11pm

परम आदरणीया दीदी जी आप की बात एक दम सही है कि यह कविता शिल्‍प कथ्‍य सयोजन से दूर है, इस कविता के रचनाकार को परिपक्‍वता के लिये काफी समय देना होगा। शायद यही परिपक्‍वता सीखने हेतु इस मंच से हम जुडे़ है जिसका हमको गर्व है। मगर दीदी जहॉं तक मेरी समझ है अपने दिल में आयी हर बात को हम जिस रूप में चाहे उस रूप में जनमानस के सामने रख सकते है, यदि ऐसा नहीं होता तो शायद मैं किसी ज्‍वलंन्‍त समस्‍या पर या बातो पर कविता ना देख पाता ना सुन पाता। मैं अपने शिल्‍प कथ्‍य संयोजन, भाषा की कमी एवं गलतीयों पर तो आपकी बात को स्‍वीकार करते हुए आपका आभारी हूँ जेा आपने मेरा मार्गर्दशन किया और आशा है कि भविष्‍य में भी करती रहेगी। पर जो कविता के रूप में अपनी प्रस्‍तुति पर आप से कहना चाहूँगा कि अपनी बात आप कह सकते हैं जिस रूप में चाहे उस रूप बस उसके पटल पर रखने के स्‍थान के बारे में निर्णय पटल संचालक या पटल प्रशासन को करना हेाता है '''''सधन्‍यवाद आपका अखंड गहमरी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 20, 2013 at 3:47pm

किसी भी मुद्दे पर अपनी राय होना एक बात है...पर हर मुद्दे पर कविता का रूप आरोपित करना क्या सही है..?

भाषा व्याकरण शिल्प कथ्य-संयोजन हर लिहाज से ये प्रस्तुति बहुत बहुत समय और परिपक्वता की मांग करती है.

बेहतर होता इस विषय पर आप एक चर्चा 'सामाजिक सरोकार' या 'खेल और मनोरंजन समूह' में आरम्भ करते ..

शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 19, 2013 at 9:44pm

सुन्दर प्रयास. विद्जन की टीप पर मनन करें. सादर................

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 19, 2013 at 5:56pm

आदरणीय अखंड जी ..आपके प्रयास को नमन ..लेकिन डॉ गोपाल जी के परामर्श ध्यान देने योग्य है ..सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 19, 2013 at 12:47pm

अखंड जी

कभी किसी  को मुकम्मिल जहाँ नहीं मिलता

किसी को जमी तो किसी को आस्मा नहीं मिलता

जिन्हें भारत रत्न मिला वे उसके  हक़दार थे,  और भी है

 पर हम इसे सियासत न कहें तो बेह्तर होगा i

 हाँ  हम औरो के लिए मांग  करे यह  सही  विकल्प है i   सस्नेह i

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 18, 2013 at 10:47pm

आदरणीय गहमरीजी, शतप्रतिशत सत्य प्रासंगिक, भावपूर्ण रचना के लिये आपको बहुत बुत  बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
24 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service