For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टूटी चूड़ियाँ

बह गया सिन्दूर

साथ ही टूटा

अनवरत

यंत्रणा का सिलसिला

बह गया फूटकर

रिश्तों का एक घाव

पिलपिला

अब चाँद के संग नहीं आएगा

लाल आँखें लिए

भय का महिषासुर

कभी कभी अच्छा होता है

असर

जहरीली शराब  का ..

... नीरज कुमार ‘नीर’

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 993

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on November 16, 2013 at 8:00pm

आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब ..

Comment by विजय मिश्र on November 16, 2013 at 4:54pm
दुःख से दुःख जाता है कि एक तर्क और व्यंग युक्त सार्थक प्रस्तुति .बधाई नीरजजी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 3:17pm

आदरणीय नीरज जी ..बहुत व्यंग्यात्मक तरीके से सम्बेदना से जुड़े किसी पहलू को उजागर किया है आपने ..आपको हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 16, 2013 at 9:39am

अब चाँद के संग नहीं आएगा

लाल आँखें लिए

भय का महिषासुर

कभी कभी अच्छा होता है

असर

जहरीली शराब  का ..

प्रतिदिन के इस भय से छुटकारा, हृदयस्पर्शी पंक्तियों पर बधाई स्वीकारें आदरणीय नीरज जी

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 15, 2013 at 10:03pm

एक बेहतरीन कटाक्ष ! बधाई स्वीकारें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 15, 2013 at 9:50pm

आदरणीय नीरज भाई , लाजवाब रचना की है , सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई !!!!

Comment by Neeraj Neer on November 15, 2013 at 7:53pm

आदरणीय मीना जी हार्दिक आभार ..

Comment by Neeraj Neer on November 15, 2013 at 7:53pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव आपके प्रोत्साहन के लिए हार्दिक  आभार ..

Comment by Neeraj Neer on November 15, 2013 at 7:52pm

आभार आदरणीय शिज्जू जी 

Comment by Meena Pathak on November 15, 2013 at 5:37pm

सुन्दर रचना हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service