For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसकी बातों पे मुझे आज यकीं कुछ कम है
ये अलग है कि वो चर्चे में नहीं कुछ कम है

जबसे दो चार नए पंख लगे हैं उगने
तबसे कहता है कि ये सारी ज़मीं कुछ कम है

मैं ये कहता हूँ कि तुम गौर से देखो तो सही
जो जियादा है जहां वो ही वहीँ कुछ कम है

मुल्क तो दूर की बात अपने ही घर में देखो
'कहीं कुछ चीज जियादा है कहीं कुछ कम है'

देख कर जलवा ए रुख आज वही दंग हुए
जो थे कहते तेरा महबूब हसीं कुछ कम है

कुछ तो अनबन है ज़रूर उसकी, खुदा से 'राणा'
आज सजदे में झुकी उसकी ज़बीं कुछ कम है

मौलिक तथा अप्रकाशित

Views: 1503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on December 4, 2013 at 11:27pm

सभी अश'आर बुलंद हैं आदरणीय। जबसे दो चार नए पंख लगे हैं उगने 
तबसे कहता है कि ये सारी ज़मीं कुछ कम है //इस शेर का क्या कहना! हार्दिक बधाई।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 1:50pm

सभी अशआर पसंद आये, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई प्रिय राणा प्रताप जी |

Comment by annapurna bajpai on November 18, 2013 at 2:17pm

सुंदर गजल आ० राणा प्रताप जी , बधाई । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 17, 2013 at 7:27am

देख कर जलवा ए रुख आज वही दंग हुए
जो थे कहते तेरा महबूब हसीं कुछ कम है ----- वाह क्या ख्याल है,अच्छी ग़ज़ल है .

Comment by Neeraj Neer on November 15, 2013 at 8:43am

जबसे दो चार नए पंख लगे हैं उगने 
तबसे कहता है कि ये सारी ज़मीं कुछ कम है.. वाह क्या ख्याल है , बहुत ही उम्दा.. सुन्दर ग़ज़ल हुई है ..

Comment by वेदिका on November 13, 2013 at 1:26pm

जबसे दो चार नए पंख लगे हैं उगने
तबसे कहता है कि ये सारी ज़मीं कुछ कम है,, बहुत खूब अंदाज से गज़ल की पेशकश हुयी है|

बधाई आ0 राणा जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 13, 2013 at 8:04am

आदरणीया वन्दना जी शेर पसंद करने के लिए शुक्रिया|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 13, 2013 at 8:03am

आदरणीय निलेश जी बहुत बहुत शुक्रिया|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 13, 2013 at 8:02am

आदरणीय विजय निकोर जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए शुक्रिया|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 13, 2013 at 8:02am

आदरणीय डा. आशुतोष जी आपने ग़ज़ल पसंद किया जिसके लिए मैं आभारी हूँ|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
12 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
17 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service