For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं(राम शिरोमणि पाठक)

१-मीठा ज़हर

आज फिर खाली हाथ लौटा घर को
मायूसी का जंगल उग आया है
चारों तरफ
फिर भी मै
हँस के पी जाता हूँ दर्द का मीठा ज़हर

२- एहसान

एक एहसान कर दो
जाते जाते
समेट कर ले जाओ अपनी यादें ।
आज जी भर कर सोना है मुझे

३-महान

सम्मान बेचकर भी
ह्रदय अब तक स्पंदित है
आप महान हो

४-तकिया

अब बहुत अच्छी नींद आती है मुझे
पता है क्यूँ?
दर्द को ही तकिया बना लिया मैंने

५-हँसी

तुम्हारे आने और जाने के बीच
बहुत कुछ गुजरता है मुझसे होकर
और एक गुप्त बात बताऊँ आपको
आप की हँसी को मैंने
किताब के पन्नों में दबा रखा हूँ
बस उसे ही उलटता पलटता रहता हूँ

६-देखा है मैंने

टूटी झाडू से
साफ़ करता रहा
सभ्य लोगों द्वारा की गयी गन्दगी
केवल!चंद सिक्कों के लिए

७-ऐसा न करो

दिल तेरा पत्थर का माना
मुझसे प्यार भी नहीं माना
मगर जाते -जाते
मेरे कपडे न उतार

*******************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 957

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 6:24pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  विजय निकोर  जी, //सादर 

Comment by vijay nikore on October 26, 2013 at 5:49pm

ऐसे ही लिखते रहिए। बहुत ही सुन्दर भाव पिरोय हैं। बधाई।

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:59pm

बहुत बहुत आभार परम आदरणीय विजय मिश्रा जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:57pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय   भाई वैद्यनाथ जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:57pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया सरिता जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई सिज्जू  जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई शुशील  जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र   जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश   जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:53pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय अरविन्द  जी //सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
50 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
50 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service