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क्षणिकाएं(राम शिरोमणि पाठक)

१-मीठा ज़हर

आज फिर खाली हाथ लौटा घर को
मायूसी का जंगल उग आया है
चारों तरफ
फिर भी मै
हँस के पी जाता हूँ दर्द का मीठा ज़हर

२- एहसान

एक एहसान कर दो
जाते जाते
समेट कर ले जाओ अपनी यादें ।
आज जी भर कर सोना है मुझे

३-महान

सम्मान बेचकर भी
ह्रदय अब तक स्पंदित है
आप महान हो

४-तकिया

अब बहुत अच्छी नींद आती है मुझे
पता है क्यूँ?
दर्द को ही तकिया बना लिया मैंने

५-हँसी

तुम्हारे आने और जाने के बीच
बहुत कुछ गुजरता है मुझसे होकर
और एक गुप्त बात बताऊँ आपको
आप की हँसी को मैंने
किताब के पन्नों में दबा रखा हूँ
बस उसे ही उलटता पलटता रहता हूँ

६-देखा है मैंने

टूटी झाडू से
साफ़ करता रहा
सभ्य लोगों द्वारा की गयी गन्दगी
केवल!चंद सिक्कों के लिए

७-ऐसा न करो

दिल तेरा पत्थर का माना
मुझसे प्यार भी नहीं माना
मगर जाते -जाते
मेरे कपडे न उतार

*******************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 6:24pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  विजय निकोर  जी, //सादर 

Comment by vijay nikore on October 26, 2013 at 5:49pm

ऐसे ही लिखते रहिए। बहुत ही सुन्दर भाव पिरोय हैं। बधाई।

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:59pm

बहुत बहुत आभार परम आदरणीय विजय मिश्रा जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:57pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय   भाई वैद्यनाथ जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:57pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया सरिता जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई सिज्जू  जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई शुशील  जी,क्षणिकाएं आपको अच्छी लगी तो मेरा लिखना सफल हुआ //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र   जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय अखिलेश   जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on October 26, 2013 at 4:53pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय अरविन्द  जी //सादर 

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