For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : हमेशा के लिए गायब लबों से मुस्कुराहट है

बह्र : हज़ज मुसम्मन सालिम
१२२२, १२२२, १२२२, १२२२,

हमेशा के लिए गायब लबों से मुस्कुराहट है,

मुहब्बत में न जाने क्यों अजब सी झुन्झुलाहट है,

निगाहों से अचानक गर बहें आंसू समझ लेना,
सितम ढाने ह्रदय पर हो चुकी यादों की आहट है,

दिखा कर ख्वाब आँखों को रुलाया खून के आंसू,
जुबां पे बद्दुआ बस और भीतर चिडचिड़ाहट है,

चला कर हाशिये त्यौहार की गर्दन उड़ा डाली,
दिवाली की हुई फीकी बहुत ही जगमगाहट है,

बदलने गाँव का मौसम लगा है और तेजी से,
किवाड़ों में अदब की देख होती चरमराहट है...

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 24, 2013 at 10:17pm

हार्दिक आभार श्याम जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2013 at 8:16pm
//हमेशा के लिए गायब लबों से मुस्कुराहट है,

मुहब्बत में परेशानी अजब सी झुन्झुलाहट है,//

बेहतरीन मतला, इस तरह की रदीफ़ उठाना बड़ी कलेजे की बात है, मिसरा सानी जरा उलझ रहा है, यदि ऐसे कहें तो   …… 

मुहब्बत में न जाने क्यों अजब सी झुन्झुलाहट है,

अच्छी लगी ग़ज़ल, थोड़ी और मसक्कत होनी चाहिए थी, बधाई प्रेषित है ।  

 

Comment by Saarthi Baidyanath on October 24, 2013 at 7:06pm

बेजोड़ है अरुन साहिब ...

बदलने गाँव का मौसम लगा है और तेजी से,
किवाड़ों में अदब की देख होती चरमराहट है...क्या कहने ! उम्दा :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 24, 2013 at 6:47pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , बहुत सुन्दर , लाजवाब गज़ल कही है !!!! आपको तहे दिल से बधाई !!!

चिडचिढाहट   को   चिडचिड़ाहट - कर लीजियेगा - टंकण की गलती हो गयी है !!!!!

Comment by Shyam Narain Verma on October 24, 2013 at 5:58pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
3 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service