For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये जो मेरे ख्याल हैं न..
दरिया में तहलील बूंदों की माफिक
तुम में अपने मायने ढूंढते हैं..
 
ये चाहें धूप में पिघल जाएँ
भाप की शक्लें पहनकर
 
या मीलों कर लें परवाज़
कहीं बादलों में छुपकर
 
 
गुलाब की पंखुड़ियों से झांकें
ओस की शक्लों में
 
या फिर किसी टूटे पत्ते
की मानिंद उड़ते रहें इधर-उधर
 
ये बहुत कोशिशों के बाद
अब भी 'तुम' तलक ही पहुँच पाते हैं..
 
तुमने तो अब ख्यालों की भी हदें बाँध दी हैं...


(तहलील= विलीन / डूबा हुआ / immersed; मायने= अर्थ / meaning; परवाज़= उड़ान)

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विवेक मिश्र on June 15, 2011 at 11:47pm
@ Rector Kathuria Ji & Guru Ji- Aapko meri koishish roochi. Haardik aabhaar..
Comment by Rash Bihari Ravi on June 6, 2011 at 8:02pm
khubsurat
गुलाब की पंखुड़ियों से झांकें
ओस की शक्लों में
 
या फिर किसी टूटे पत्ते
की मानिंद उड़ते रहें इधर-उधर
 
ये बहुत कोशिशों के बाद
अब भी 'तुम' तलक ही पहुँच पाते हैं.
lajabab
Comment by Rector Kathuria on February 27, 2011 at 9:10pm
विवेक मिश ताहिर जी बहुत खूब...बहुत खूब....बहुत ही गहरी बात कही आपने... ....
ये बहुत कोशिशों के बाद
अब भी 'तुम' तलक ही पहुँच पाते हैं..
 
तुमने तो अब ख्यालों की भी हदें बाँध दी हैं...

Comment by विवेक मिश्र on January 24, 2011 at 7:45pm
मेरा प्रयास आपको पसंद आया. हार्दिक आभार.
Comment by आशीष यादव on January 20, 2011 at 12:07pm
विवेक सर, बहुत खुबसूरत लगी आपकी ये नज़्म| पढ़ते समय एक खुबसूरत आनंद मिल रहा है|
Comment by विवेक मिश्र on January 14, 2011 at 5:26pm
नवीन सर, भास्कर जी और अरुण जी- आपकी टिप्पणियों के लिए हार्दिक आभार.
Comment by Abhinav Arun on January 14, 2011 at 11:41am
विवेक जी खूबसूरत ख्यालों की बेहद खूबसूरत अदायगी | बहुत बढियां , बधाई ||| और संयोजित चित्र चार चाँद लगा रहे हैं >>>!!!!!
Comment by Bhasker Agrawal on January 14, 2011 at 10:13am
सुन्दर प्रस्तुति...बहुत खूब
Comment by विवेक मिश्र on January 13, 2011 at 2:05am

Shukriya Ganesh Bhai.. Aapki Tippani bahumoolya hai.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2011 at 6:16pm
ख्यालों की हदे ............शायद अभी तक नहीं बने , बहुत ही सुंदर काव्य कृति है विवेक भाई , बेहतरीन अभिव्यक्ति हेतु साधुवाद स्वीकारें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service