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१.

जोड़ी जुगल निहार मन, प्रेम रस सराबोर|

राधा सुन्दर मानिनी, कान्हा नवल किशोर||

२.

हरे बाँस की बांसुरी, नव नीलोत्पल गात|

रक्त कली से अधर द्वय,दरसत मन न अघात ||

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Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 4:54am

सुंदर दोहा प्रयास के लिए बधाई आ0 शालिनी जी.... बाकी आ0 सौरभ जी ने कह ही दिया है.... उस पर ध्यान अवश्य दीजिएगा...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 19, 2013 at 8:00pm

बहुत सुन्दर कृष्णमय दोहे...

पर वाचन में प्रवाह बाधित है...यहाँ शब्द संयोजन को समझना ज़रूरी है 

आदरणीय सौरभ जी नें विस्तार से बिन्दुवत उजागर किया है..उसे ज़रूर देखें 

इन सुन्दर भावों पर हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by विजय मिश्र on October 19, 2013 at 5:19pm
श्रीकृष्णम् शरणम गतिः
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 1:53pm

आदरणीय भाव उत्तम है उस हेतु बधाई

आदरणीय सौरभ सर के कहे को संज्ञान में लायें

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 19, 2013 at 11:47am

१.

जोड़ी जुगल निहार मन......... जोड़ी-जुगल का द्वन्द्व समास क्यों लिया आपने  जबकि दोनों के अर्थ एक ही हैं, आदरणीया ? 

प्रेम रस सराबोर................  विषम चरण का विन्यास संयत नहीं हुआ है. इसी कारण वाचन प्रवाह प्रभावित हो रहा है,
राधा सुन्दर मानिनी............. वाह वाह वाह .. मानिनी  शब्द का प्रयोग अत्यंत उत्कृष्ट है .. .

कान्हा नवल किशोर.. .......... नवल किशोर... !! . वाह-वा.. वाह-वा .. क्या ही सुन्दर छवि निखरी है !!

२.

रक्त कली से अधर द्वय........नियमों के तकनीकी पक्ष से दुविधा नहीं है लेकिन वाचन का प्रवाह क्यों बाधित है सोचियेगा. प्रस्तुतियों पर ऐसा मनन-मंथन अच्छा लगेगा..  :-))))))

दरसत मन न अघात........    इस चरण का शब्द-संयोजन भी दोषपूर्ण है, आदरणीया. अतः वाचन प्रवाह बाधित हुआ है. 

प्रयास हेतु सादर बधाइयाँ..

शुभेच्छाएँ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 19, 2013 at 11:45am

भक्ति भाव में डूबकर, लिखते दोहे भक्त, 

सुधिजन सराह कर करे, खूब भावना व्यक्त | -हार्दिक बधाई   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 19, 2013 at 10:38am

बहुत सुन्दर कान्हा की भक्ति रस में डूबे दोहे| हार्दिक बधाई आपको | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2013 at 10:10am
आदरणीया , बहुत सुन्दर दोहों की रचना की है आपने !!!! हार्दिक बधाई !!!!

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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