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ग़ज़ल - हँसती जाती है दहशत क्योंकर - पूनम शुक्ला

2222. 2222. 2
इतनी फैली है गीबत क्योंकर
शफ़्क़त आनें में शिद्दत क्योंकर

आबे दरिया सा रास्ता सबका
रुक ही जाती है बहजत क्योंकर

ताबो ताकत बैठी रोती है
इतनी बरकत में दौलत क्योंकर

आसाइश इतनी दरहम बरहम
हँसती जाती है दहशत क्योंकर

कितना बेकस है इंसा बेबस
तब भी शातिर ही हिकमत क्योंकर

पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

गीबत - बदबू
बहजत - खुशी
ताबो ताकत - योग्यता
आसाइश - सुख समृद्धि
दरहम बरहम - अस्त व्यस्त
बेकस - बेचारा
हिकमत - उपाय

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Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 9:27pm

बा बहर कलाम के लिए बधाई स्वीकारें ... बहर के हवाले से कुछ करने की जरूरत नहीं है ... कहन / भाषा के प्रति और नरम होना जरूरी है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 7:45pm

अरुन अनन्त भाई... ये क्या सलाह दे दी आपने ?

ग़ाफ़ (गुरु) की विषम या फूट संख्या पर सधा मिसरा बहुत ही लोकप्रिय ग़ज़लों का कारण रहा है. यहाँ नौ (9) ग़ाफ़ हैं. सही हैं.

फेलुन फेलुन .. फ़ा ..  के वज़्न में !

ग़ज़ल तो बाबह्र है.

पूनम जी .. बधाई.

शुभ-शुभ

Comment by Poonam Shukla on October 16, 2013 at 4:15pm
मुझे बस इतना पता है कि मैं गाकर लिखती हूँ ।
Comment by अरुन 'अनन्त' on October 16, 2013 at 2:22pm

आदरणीया पूनम जी आपको ग़ज़ल बह्र पर ध्यान देना होगा जिस तरह से आपने रुक्न तोड़े हैं वे इस तरह से नहीं टूटेंगे.

2222 2222 2

2122, 2122, 2 यह शायद इस तरह से होंगे अधिक वीनस भाई जी कुछ कह सकेंगे यदि वे इस ग़ज़ल पर पहुंचेंगे.

Comment by बृजेश नीरज on October 16, 2013 at 1:32pm

वाह! बहुत सुन्दर! अच्छी उर्दू ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Poonam Shukla on October 16, 2013 at 6:17am
अर्थ भी दे देती हूँ
Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 8:16pm

आदरणीया पूनम जी.... आदरणीय डॉ. आशुतोष जी के वक्तव्य से मैं भी सहमत हूँ.... यदि उर्दू शब्दों का अर्थ भी आप लिख दें तो हम जैसे उर्दू के न के बराबर जानकार भी भावार्थ को समझने में सफल होंगे..... सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 15, 2013 at 3:42pm

आदरणीया पूनम जी ..उर्दू की बहुत जानकारी न होने के कारन मैं रचना के भाव तक नहीं पहुँच सका ..आपसे निवेदन है की यदि इन शब्दों के अर्थ भी साथ में दे तो हमारे उर्दू की समझ को बढाने में मदद के साथ रचना के लुत्फ़ उठाने का भी पूरा मौका मिलेगा ..यह मेरी व्यक्तिगत गुजरिश है ..सदार अभिवादन के साथ 

Comment by Shyam Narain Verma on October 15, 2013 at 1:19pm
बहुत खूब..............

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