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पराया धन (लघुकथा)

रमाकांत को पचास वर्ष की आयु में सात पुत्रियों के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ती हुयी थी | आज बेटे की छठी बड़े धूमधाम से मनाई जा रही थी | मित्रों और रिश्तेदारों से घर भरा हुआ था कहीं तिल रखने की भी जगाह नही थी घर में | महिलाएँ बधाई गीत गा रहीं थीं | रमाकांत सपत्नी खुशी से फूले नही समा रहे थे | बेटियाँ चुपचाप ये सब देख रहीं थीं | सबसे छोटी बेटी जो मात्र तीन वर्ष की थी अपनी सबसे बड़ी बहन की गोद में बैठी थी | सभी बहने देख रहीं थी कि कैसे सभी उसके नन्हें से भाई को गोद में ले कर स्नेह दिखा रहे थे | माँ पापा भी खुश थे | अचानक ही एक बहन बोली “दीदी हमारे जन्म पर भी ऐसे ही खुशी मनाई गई होगी ना ? बड़ी बहन उसके सिर पर प्रेम से हाथ फेरते हुए बोली “ना रे दादी कहती है की बाबू (नन्हा भाई) से ही इस घर का वंश चलेगा, हम सब अपने घर का वंश चलाएँगी |”
“तो क्या ये हमारा घर नही है ?” छोटी बहन ने उत्सुकता से पूछा |
“दादी कहती है कि हम सब परायाधन हैं, ये हमारा अपना घर नही है |” छोटी बहन उदास हो कर अपनी दादी को देखने लगती है जो पोते की बलईयाँ लेते नही थक रही है |

मीना पाठक 

मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment by Meena Pathak on October 13, 2013 at 7:32pm

आभार आ० आशीष नैथानी जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 4:51pm

आदरणीया बचपन से ही इस तरह की बातें सुनते आये हैं आज भी यही बूढी सोच कई बीमार दिमागों में बसी हुई है. सुन्दर लघुकथा हेतु बधाई स्वीकारें.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 13, 2013 at 4:45pm

सुंदर लघुकथा ..समाज की आज भी वही पुरानी सोच है ..लेकिन ये बदलेगा ये तय है ..सादर बधाई  के साथ

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 13, 2013 at 3:33pm

सुन्दर लघुकथा  !!

Comment by Meena Pathak on October 13, 2013 at 11:18am

परम आदरणीय विजय निकोर जी प्रणाम, टिप्पणी रूप में आशीर्वाद देने के लिए सादर आभार स्वीकारें 

Comment by Meena Pathak on October 13, 2013 at 11:15am

आदरणीय जितेन्द्र भाई बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on October 13, 2013 at 11:14am

आदरणीया राजेश कुमारी जी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आप का| सादर 

Comment by Meena Pathak on October 13, 2013 at 11:12am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत बहुत आभार स्वीकारें | सादर 

Comment by Meena Pathak on October 13, 2013 at 11:10am
आदरणीय कपीश चन्द्र जी लघुकथा सराहने हेतु आभार स्वीकारें |
सादर
Comment by vijay nikore on October 13, 2013 at 10:49am

इस भावपूर्ण लघु कथा हेतु हार्दिक बधाई, आदरणीया मीना जी।

 

सादर, विजय निकोर

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